समाज में जेंडर इक्विलिटी और सेंसिटिविटी होने से बच्चों में हीन भावना का नहीं होता विकास : प्रमिला मनोहरण
दरभंगा। यूनिसेफ एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय सर्टिफिकेट इन एकेडमिक लीडरशिप कोर्स के निर्माण को ले चल रहे कार्यशाला के दूसरे दिन बिहार के विभिन्न भागों से आए प्रतिभागियों एवं पदाधिकारियों ने इस कोर्स के निर्माण प्रक्रिया पर गहन मंथन की।
दरभंगा। यूनिसेफ एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय सर्टिफिकेट इन एकेडमिक लीडरशिप कोर्स के निर्माण को ले चल रहे कार्यशाला के दूसरे दिन बिहार के विभिन्न भागों से आए प्रतिभागियों एवं पदाधिकारियों ने इस कोर्स के निर्माण प्रक्रिया पर गहन मंथन की। उनका यह प्रयास है कि एक ऐसा पाठ्यक्रम तैयार हो, जो अधिगम की गुणवत्ता की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सके। इस कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उद्देश्यों पर विस्तार से यूनिसेफ की विषय विशेषज्ञ प्रमिला मनोहरण ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास समाज में जेंडर इक्विलिटी, सेंसिटिविटी, न्यूट्रलिटी एंड ट्रांसफॉर्मेशन का होना चाहिए, ताकि बच्चों में किसी प्रकार की हीन भावना का विकास ना हो सके। वह समान अवसर के हकदार हैं, उन्हें वह मिलना चाहिए। सर्टिफिकेट इन एकेडमिक लीडरशिप पाठ्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि हम विशेषज्ञों की मदद एवं अनुभवों के आधार पर एक ऐसा कोर्स बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो हमारी शैक्षिक प्रशासकों की नेतृत्व क्षमता को बढ़ा सकें। तीन महीने के इस कोर्स को छह मॉड्यूल में विभाजित किया गया है, जिसके अंतर्गत ऐसे कंटेंट रखे गए हैं जो एक प्रशासक की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण है। यह कोर्स एक सर्टिफिकेट कोर्स होगा, जो शिक्षा से जुड़े प्रशासनिक पदाधिकारियों के लिए ऑनलाइन कोर्स होगा। यूं तो सभी शिक्षा से जुड़े प्रशासनिक पदाधिकारी इस कोर्स में नामांकन ले सकते हैं, लेकन अभी 76 नवनियुक्त प्रशासनिक पदाधिकारियों के प्रशिक्षण के एक भाग के रूप में इसे चलाया जाएगा। इस कोर्स के शिड्यूल का निर्धारण उनके प्रशिक्षण की अवधि के बीच का ही होगा। उन्होंने कहा कि हमारा फोकस क्वालिटी एंड लीडर्स लर्निंग से जुड़ा है, प्रत्येक बच्चा सीखे, पढ़े एवं बढ़े के साथ उसमें इस स्तर की गुणवत्ता आनी चाहिए, जिसका वह हकदार है। उन्होंने कहा कि प्रशासक को एकेडमिक प्रशासक के रूप में तैयार होने की जरूरत है, ताकि वह एक सफल नेतृत्वकर्ता के रूप में स्वयं तो रहे ही, इस क्षमता का भी विकास अन्य अपने सहयोगियों में कर सके। बिहार शिक्षा परियोजना की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी किरण कुमारी ने इस कोर्स के उद्देश्य पर फोकस करते हुए कहा कि ऐसा देखा गया है कि हमारे पदाधिकारी अपना मुख्य फोकस केवल प्रशासनिक कार्यों पर ही रखते है। यह शिक्षा तंत्र को और संतुलित करता है। आवश्यकता यह होती है कि विद्यालय क्रियाकलाप, संरचना पाठ्यक्रमों की रूपरेखा छात्र, शिक्षक, प्रशासक अंतसंबंधों की जानकारी भी स्पष्ट होनी चाहिए। ऐसा करने के लिए वे टीम का गठन कर नेतृत्व प्रदान करने, नेतृत्व देने एवं छात्रों में भी नेतृत्वकर्ता की भूमिका का विकास कर सकें। निदेशक, दूरस्थ शिक्षा प्रो. सरदार अरविद सिंह ने कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों के साथ बीताते हुए कहा कि आज के संदर्भ में यह पाठ्यक्रम हमारे प्रशासकों के लिए निश्चित रूप से लाभकारी होगा। विदित हो कि कुलपति प्रो. एसके सिंह के नेतृत्व में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय राज्य का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसने अपने शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के साथ समन्वय किया है। कहा कि कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को होगा।