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कोरोना के साए में आज मनेगा ईद, ईदगाह और मस्जिदों को छोड़ घर में ही चल रही नमाज की तैयारी

दरभंगा। कोरोना के साए में पहली बार ईद का त्योहार सोमवार को मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 01:30 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 06:11 AM (IST)
कोरोना के साए में आज मनेगा ईद, ईदगाह और मस्जिदों को छोड़ घर में ही चल रही नमाज की तैयारी

दरभंगा। कोरोना के साए में पहली बार ईद का त्योहार सोमवार को मनाया जाएगा। जोश, उल्लास और जुनून से भरपूर ईद का त्योहार इस बार कुछ अलग अंदाज में मनेगा। न ईदगाह में भीड़भाड़ होगी ना मस्जिदों में कोई चहल-पहल होगी। नमाज के बाद भी गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देने की रस्म इस बार अदा नहीं की जाएगी। दोनों हाथ मिलाकर मुसाफा भी नहीं होगा। लोग दूर से ही एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद मुंह से बोल कर देंगे। घरों पर भी लोगों का आना जाना नहीं होगा। इसलिए विशेष पकवान की तैयारी के लिए खरीदारी भी रविवार को उस अनुपात में नहीं हुई, जैसे और साल होती थी। कुछ खरीदारी जरूर हुई कि अपने ही परिवार के सदस्यों को कम से कम ईद के दिन दूसरे का मुंह नहीं ताकना पड़े। घर में ही रहकर बड़े बुजुर्ग व बच्चे ईद का कुछ तो स्वाद चख सकें। जिला स्कूल के पास का ईदगाह और प्रसिद्ध मिर्जा खां तालाब किनारे वाला ईदगाह चांद रात से पहले लोगों के आकर्षण का केंद्र रहता था। वहां नमाज की तैयारियां होती थी।दर्जनों मजदूर काम पर लगाए जाते थे। ईदगाह की साफ-सफाई होती थी और आने जाने वाले मार्गों की भी साफ-सफाई होती थी। चूना-बलीचिग का छिड़काव किया जाता था। लेकिन, इस बार ऐसा कुछ नहीं है। ईदगाह के द्वार भी नहीं खुले। जिला स्कूल के पास वाली ईदगाह में बड़े-बड़े घास लहलहा रहे थे। ईदगाह के बाहर खड़े एक रोजेदार ने कहा कि बड़ी दुख की बात है। इस बार रमजान में भी हम लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए तड़प गए। अब ईद भी घर पर ही पढ़ना होगा। तो खुशी किस बात की। कोई कपड़ा वगैरह भी हम लोगों ने नहीं खरीदा है। पुराने कपड़े को ही साफ-सुथरा करके रख दिया है। कल उसी को पहनेंगे। किला घाट अंजुमन कार्यालय में बैठे उसके सचिव इंजीनियर इश्तियाक अहमद ने कहा कि इतनी बड़ी महामारी है, इसमें कोई क्या कपड़ा बनवाएगा, क्या ईद मनाएगा। लोगों ने रोजा रखा है। पूरे माह इबादत की है। इसलिए ईद तो मनेगी ही, लेकिन इस बार की ईद पिछले 100 साल की ईद से अलग होगी। सादगी के साथ लोग ईद मनाएंगे। लोगों ने नए कपड़े नहीं खरीदे हैं। उन्होंने अपने कपड़ों का मूल्य उन गरीबों को दान कर दिया है जो कोरोना महामारी में अपना रोजगार गंवा बैठे हैं और बेकार हैं।

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