लॉकडाउन के कारण प्रवासियों के आने से गांवों में बढ़ी चहल-पहल
दरभंगा। लॉकडाउन के कारण नौकरी गंवाने के बाद प्रवासियों के गांव आने के कारण गांवों की रौनक बढ़ गई है।
दरभंगा। लॉकडाउन के कारण नौकरी गंवाने के बाद प्रवासियों के गांव आने के कारण गांवों की रौनक बढ़ गई है। लॉकडाउन से पहले क्षेत्र के अधिकांश गांवों से रोजगार की तलाश में श्रमिकों और युवाओं को पलायन कर जाने के कारण गांवों में कम चहल-पहल रहती थी। गांवों के चौक-चौराहों पर लोग शारीरिक दूरी बनाकर दूसरे राज्यों में किस तरह जीवन-यापन करते हैं, इसकी चर्चा गांव वालों के साथ कर रहे हैं। दूसरे राज्यों से आए अधिकांश लोगों को अब अपने गांव के मिट्टी की खुशबू के महत्व का अंदाजा हुआ है। गांव में अब जनजीवन पूरी तरह सामान्य हो गया है। ज्यादातर लोग अब खेती करने में जुट गए हैं। परिवार वालों को इसकी ज्यादा खुशी मिल रही है, क्योंकि रोजी-रोटी के कारण लोग दूसरे राज्य नौकरी करने चले जाते हैं। घर में माता-पिता अकेले रहने को मजबूर रहते हैं। लेकिन, लॉकडाउन ने इन सभी परिवारों को खुश होने का मौका दिया है। दैनिक जागरण की टीम ने शनिवार को गांव-गिरांव के तहत ननौरा गांव का जायजा लिया, तो देखा की ननौरा मॉडर्न इंग्लिश एकेडमी की शिक्षिका मुनीता कुमारी शारीरिक दूरी बनाकर बच्चों को घर पर ट्यूशन पढ़ा रही थी। मुनीता ने बताया कि वे बच्चों को पढ़ाने के अलावा कोरोना महामारी से बचाव के लिए शारीरिक दूरी और स्वच्छता के संबंध में जानकारी दे रही है। रमेश कुमार साहु, विनोद कुमार राउत, अशोक कुमार साहु ने बताया कि लॉकडाउन ने परिवार क्या होता है, इसका पाठ अवश्य पढ़ा दिया है। सत्यदेव ठाकुर ने बताया कि विपदा की इस घड़ी में गांवों का प्रेम और भाईचारा शहर के लोगों के लिए नजीर है। बुजुर्ग शिवजी साहु (80) ने बताया कि जीवन में ऐसी भयानक आपदा नहीं देखा था। ईश्वर पृथ्वी पर मानवता की रक्षा करें। पूर्व पंचायत समिति सदस्य धर्मशीला देवी ने बताया कि सरकार को गांवों में रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए। गांवों में मनरेगा योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार मिले, इस पर सरकार को विशेष रुप से ध्यान देने की जरूरत है। नौकरी गंवाने के बाद मजदूर व नौजवान गांव तो चले आए हैं, लेकिन यहां रोजगार नहीं मिलने के कारण उनमें निराशा है।
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