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क्विज से तार्किक क्षमता का होता है विकास : प्रो. ¨सह

दरभंगा । क्विज प्रतियोगिता से छात्रों में न सिर्फ तार्किक क्षमता का विकास होता है बल्कि किसी खास ¨बद

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 01:34 AM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 01:34 AM (IST)
क्विज से तार्किक क्षमता का होता है विकास : प्रो. ¨सह
क्विज से तार्किक क्षमता का होता है विकास : प्रो. ¨सह

दरभंगा । क्विज प्रतियोगिता से छात्रों में न सिर्फ तार्किक क्षमता का विकास होता है बल्कि किसी खास ¨बदु या विषय पर सुस्पष्ट विचार व्यक्त करने का भी सुनहरा अवसर प्राप्त होता है। बेशक ऐसी प्रतियोगिता प्रतिभागियों को हुनर प्रदर्शित करने का प्लेटफॉर्म भी प्रदान करती है। ये बातें शुक्रवार को कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के मौके पर शुरू हुए चार दिवसीय कार्यक्रम के उदघाटन सत्र को संबोधित करते लनामिविवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार ¨सह ने कहीं। कहा कि जिन मूल्यों व आदर्शों के लिए किसी संस्था की स्थापना होती है, उसी से जुड़कर संकल्प लेने की प्रक्रिया ही स्थापना दिवस है। यह दिवस मूल जड़ों से भी जोड़ता है। संस्कृत विश्वविद्यालय आज सभी क्षेत्रों में मजबूत स्थिति में है। उम्मीद हैं कि आगामी स्थापना दिवस तक और कई अमिट उपलब्धियां इसके नाम जुड़ जाएंगी। उन्होंने कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा के जज्बे व कार्यों की प्रशंसा की। संस्कृत संभाषण को लेकर वीसी प्रो. ¨सह ने कहा कि इससे समरसता आती है और साथ ही सामूहिक विचार-विमर्श के बाद सभी एक स्पष्ट निर्णय या परिणाम पर आते है। भरोसा जताया कि संस्कृत विश्वविद्यालय जल्द ही बुलंदियों के शिखर पर होगा। इससे पूर्व कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने उन्हें बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ की थीम पर बनी मिथिला पें¨टग भेंट कर की। डॉ. शिवलोचन झा के मंच संचालन में कुलानुशासक प्रो. सुरेश्वर झा ने विश्वविद्यालय की स्थापना के समय की विस्तार से चर्चा की और महाराजाधिराज सर कामेश्वर ¨सह के साथ डॉ. जाकिर हुसैन व डॉ. श्रीकृष्ण ¨सह के प्रति हार्दिक श्रद्धांजली अर्पित की। वीसी प्रो. झा एवं प्रोवीसी प्रो. ¨सह ने महाराजा की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया। मौके पर वेद, व्याकरण, साहित्य व ज्योतिष के अलग-अलग विषयों पर शास्त्रीय संभाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। सभी विषयों में तीन-तीन छात्रों को पुरस्कृत किया गया। निर्णायक मंडल में प्रो. शशिनाथ झा, प्रो. सुरेश्वर झा व प्रो. विद्येश्वर झा शामिल थे।

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