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शोध पद्धति में निरंतर हो रहे नवाचार : प्रो. ठाकुर

दरभंगा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च नई दिल्ली (आइसीएसएसआर)संपोषित कार्यशाला में रिसर्च मेथेडोलॉजी पर गहन चर्चा हुई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 12:19 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:12 AM (IST)
शोध पद्धति में निरंतर हो रहे नवाचार : प्रो. ठाकुर
शोध पद्धति में निरंतर हो रहे नवाचार : प्रो. ठाकुर

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च, नई दिल्ली (आइसीएसएसआर)संपोषित कार्यशाला में रिसर्च मेथेडोलॉजी पर गहन चर्चा हुई। कार्यशाला के दूसरे दिन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रो. सीएसएस ठाकुर ने सामाजिक विज्ञान में शोध पद्धति विषय पर प्रतिभागियों को बताया कि शोध के नए-नए आयाम उभर रहे हैं। यह एक प्रमेय की तरह है। कहा कि शोध पद्धति में प्रयोग निरंतर हो रहे हैं। प्रत्येक सत्य परीक्षण योग्य है। प्रो. ठाकुर ने कहा कि रिसर्च करते समय तीन बिदुओं पर ध्यान देना चाहिए। ये तीन बिदु अर्थों का विस्तार, अर्थों का संकुचन एवं अर्थ आदेश है। कहा कि 21 वीं शताब्दी में शोध के आंकड़े एवं निष्कर्ष बहुत हद तक सटीक हो रहे हैं। उन्होंने जोड़ देते हुए कहा कि शोध प्रारूप में निरंतर नवाचार हो रहे हैं। कार्यशाला के पहले सत्र मे समाजशास्त्र विभाग के प्रो. गोपी रमण प्रसाद सिंह ने सामाजिक शोध के स्तर पर प्रकाश डाला। कहा कि यह शोध नीतिशास्त्र मूल निरपेक्षता, आगमन पद्धति, सहनशीलता, अपरिचित मूल्य, सामाजिक तथ्य एवं अनुभव पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि शोध का विषय स्पष्ट होना चाहिए। विषय के चुनाव में अनुसंधानकर्ता को ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए। द्वितीय सत्र में विश्वविद्यालय वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग के डॉ. दिवाकर झा ने रिपोर्ट राइटिग विषय पर प्रतिभागियों को जानकारी दी। उन्होंने राष्ट्र के विकास में शोध के महत्व का वर्णन किया। डॉ. दिवाकर ने वैश्विक पर्यावरण का भी विस्तार से विश्लेषण करते हुए उसे शोध पद्धति से जोड़ा। तृतीय सत्र में विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्रो. ध्रुव कुमार ने वर्णनात्मक सांख्यिकी विषय पर अपना व्याख्यान दिया। प्रो. कुमार ने कहा कि एसपीएसएस में इसका बहुत महत्व है। इसके दो चर दर्शन एवं आंकड़ा दर्शन होते हैं। इसमें शोध से जुड़े आंकड़े शामिल कर विश्लेषण किया जाता है। उन्होंने माध्य, माध्यिका एवं मानक विचलन सहित हिस्टोग्राम, चार्ट एवं पाई चार्ट आदि की व्याख्या की। अंत में कार्यशाला के निदेशक एवं विवि के सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष सह समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने सभी अतिथियों को पाग-चादर व मोमेंटो देकर सम्मानित किया। कार्यशाला में विभिन्न विश्वविद्यालयों के चयनित शोधार्थियों के अलावा डॉ. मंजू झा, डॉ. सरोज चौधरी, डॉ. सारिका पांडे, लक्ष्मी कुमारी, प्राणतारति भंजन सहित अनेक शिक्षक व शिक्षाविद मौजूद थे।

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