श्लोकों से गूंजा शहर, होम से सुवासित रहा कैंपस
का¨सदसंविवि सहित कॉलेजों में संस्कृत सप्ताह समारोह प्रत्येक साल श्रावणी पूर्णिमा के मौके पर मनाने की परंपरा रही है।
दरभंगा। का¨सदसंविवि सहित कॉलेजों में संस्कृत सप्ताह समारोह प्रत्येक साल श्रावणी पूर्णिमा के मौके पर मनाने की परंपरा रही है। लेकिन, इस बार यह कार्यक्रम कई मामलों में अलग दिख रहा है। इसमें आम लोगों की सहभागिता भी देखी जा रही है। रविवार को प्रात: प्रभातफेरी निकली गई, जो पाणिनी छात्रावास से मिथिला विश्वविद्यालय, श्यामा मंदिर, आयकर चौराहा, हसनचक, राज किला, वीसी आवास, पॉलीटेक्निक चौक, बेलामोड़ होते हुए पुन: छात्रावास आकर समाप्त हुई।
पीआरओ निशिकांत ने बताया कि करीब दो घंटे की इस प्रभातफेरी के दौरान छात्र व शिक्षक संस्कृत एवं संस्कृति से जुड़े श्लोकों का माइक से नारे लगा रहे थे। अधिकांश लोगों के हाथों में नीति श्लोक लिखी तख्तियां भी थीं। खास बात यह रही कि जुलूस की शक्ल में चल रहे संस्कृत के विद्वतजन राहगीरों से संस्कृत से जुड़ने की भी अपील कर रहे थे। साथ ही आमजनों की जिज्ञासाओं को भी शांत कर रहे थे। इसी क्रम में म. अ. रमेश्वरीलता संस्कृत कॉलेज से निकाली गई प्रभात फेरी भी श्यामा मंदिर के समीप विश्वविद्यालय से निकली फेरी के साथ मिल गई थी। इसमें कॉलेज के सभी कर्मी शामिल थे।
इसके बाद मुख्यालय स्थित यज्ञशाला में उपाकर्म का आयोजन किया गया। इसमें पूजापाठ के अलावा होम आदि अनुष्ठान के बाद कार्यक्रम सम्पादित हुआ। आचार्य बने थे डॉ. विद्येश्वर झा तथा पुरोहित थे प्रो. शशि नाथ झा। पूरा वातावरण आज बदला बदला सा था। हवन की धुंआ से वातावरण सुवासित हो रहा था। प्रभातफेरी व उपाकर्म के जरिए संस्कृत की समृद्धि के लिए समाज में खुला आह्वान किया गया। प्रो. शिवाकांत झा, प्रो. सुरेश्वर झा, प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, डॉ. विश्राम तिवारी, डॉ. हरेंद्र किशोर झा, डॉ. अवधेश चौधरी, डॉ. पुरेंद्र वारिक, डॉ. सत्यवान कुमार, डॉ. कुणाल कुमार झा, वरुण कुमत झा, डॉ. दिनेश्वर यादव, पंकज मोहन झा, डॉ. मुकेश कुमार निराला, डॉ. विश्नाथ बनर्जी मुख्य रूप से मौजूद रहे।