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कोरोना जांच में बीएसएल थ्री फेल, अब नई मशीन की उम्मीद

दरभंगा। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज समेत सभी मेडिकल कॉलेजों में कोरोना जांच के लिए बीएसएल टू लेबल की लेबोरेटरी बनाने का आदेश जारी किया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 09:41 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 06:17 AM (IST)
कोरोना जांच में बीएसएल थ्री फेल, अब नई मशीन की उम्मीद
कोरोना जांच में बीएसएल थ्री फेल, अब नई मशीन की उम्मीद

दरभंगा। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज समेत सभी मेडिकल कॉलेजों में कोरोना जांच के लिए बीएसएल टू लेबल की लेबोरेटरी बनाने का आदेश जारी किया है। ताजा आदेश में कहा गया है कि जिन मेडिकल कॉलेजों में इस लेबोरेटरी की स्थापना नहीं होगी, उस विभाग को मानक पर नहीं माना जाएगा। हालांकि इंडियन मेडिकल काउंसिल रिसर्च दिल्ली की ओर से बीएसएल दो लेबोरेटरी को दो साल पहले ही चालू कर दिया गया था। दूसरी ओर, डीएमसीएच का बीएसएल टू से अधिक अत्याधुनिक बीएसएल- 3 लेबोरेटरी ने दस साल की बजाए छह साल में ही दम तोड़ दिया है। इस लेबोरेटरी पर 5. 30 करोड़ से अधिक की लागत आई थी। लेकिन , लगातार चालू नहीं होने से इसके कई ऑटोमेटिक मशीन ठप हो गए हैं। इसलिए लेबोरेटरी में किसी भी तरह के वायरस की जांच रोज 14 सौ से अधिक की क्षमता है। इस लेबोरेटरी में ऑटोमेटिक सिस्टम समाप्त होने के कारण मैनुअल प्रक्रिया के तहत रोज 250 नमूने की जांच की क्षमता रह गई है। हालांकि बिहार सरकार के अनुसार नए मशीन का मानक 10 साल तक रखा है। बावजूद इसके इस मशीन की आयु मानक से पहले ही दम तोड़ गया है जबकि, इसका एमसीआई अभी चालू है। इस लैब की विशेषता इतनी है कि वर्तमान में ही नहीं आगे वाले किसी भी वायरस की जांच के लिए यह पूर्णता तैयार रहता है। इस लेबोरेटरी के उद्घाटन के बाद शुरुआती दौर में काम हो रहा था। इस लेबोरेटरी का पीजी डॉक्टर को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा था। लेकिन उसके बाद स्थानीय प्रशासन की लचर व्यवस्था के कारण इस लैब मैं कामकाज बंद हो गया और यह लैब धीरे धीरे बंद होता चला गया। अचानक करोना के महामारी की घटना आने के बाद इस लैब की खामियां उजागर होने लगी। तरह तरह की कठिनाइयां उजागर होने के बाद भी सरकार के भरसक प्रयास के बाद भी चालू नहीं हो पाया। इतना ही नहीं, इस लेबोरेटरी की जांच की क्षमता भी काफी कम हो गई । इसका खामियजा उत्तर बिहार के 9 जिलों को भुगतना पड़ा। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन जिलों के बैकलॉग एक हजार तक पहुंच गया है।

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प्राचार्य डॉ. एसएन झा ने बताया कि इस लेबोरेटरी का एएमसी चालू है । स्थानीय स्तर पर इस लेबोरेटरी के पूरे मशीन को ऑटोमेटिक रूप में चलाने के लिए प्रयासरत हैं। ढाई माह में एक दिन में हुई 400 नमूने की जांच

डीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के बीएसएल 3 लेबोरेटरी में शुक्रवार को गत ढाई माह के भीतर पहली बार कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों के नमूनों की जांच एक दिन में 400 हुई है। जबकि इस लैब में एक दिन में 1400 नमूने की जांच करने की क्षमता बताई गई है । सूत्र बताते हैं कि लेबोरेटरी में कई कर्मी और चिकित्सक नाम के लिए ही रोस्टर में शामिल हैं। तीन शिफ्टों में चलने वाला यह लेबोरेटरी अब एक ही शिफ्टों में ही चल रही है। इसमें भी कई कर्मी चेहरा दिखा कर चले जाते हैं तो, कई कर्मी लगातार रात दिन लेबोरेटरी में काम कर रहे हैं । ऐसे कर्मियों को अभी तक किसी तरह की छुट्टी भी गाइडलाइन के अनुसार नहीं दी गई है। सूत्र इतना तक बताते हैं कि किसी तरह का लगाम नहीं रहने के कारण कई कर्मियों और चिकित्सकों के लिए काम कम और फायदा का अधिक सौगात है। प्राचार्य डॉक्टर एच एन झा ने एक दिन में 400 नमूने की जांच करने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि यह पहली बार हुआ है।


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