नवजात की मौत से डीएमसीएच में हड़कंप
शिशु रोग विभाग के नीकू वार्ड में चूहे के कुतरने से नवजात की मौत की सूचना मिलते ही डीएमसीएच में हड़कंप मच गया है।
दरभंगा । शिशु रोग विभाग के नीकू वार्ड में चूहे के कुतरने से नवजात की मौत की सूचना मिलते ही डीएमसीएच में हड़कंप मच गया है। यदि इसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट में होती है तो डीएमसीएच फिर एक बार शर्मसार होगा। यहीं नहीं डीएमसीएच की व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लग जाएगा। यहां दो साल पूर्व चूहे को मारने के लिए भारी मात्रा में दवा की खरीदारी की थी। यह दवाएं अधीक्षक कार्यालय तक ही सिमट गई। चूहे मारने की दवा का डीएमसीएच में कोई अता पता नहीं है। खानापूरी के लिए कुछ वार्डो के सिस्टर इंचार्ज को आपूर्ति की गई। कई वार्डो में चूहे जमे हैं। कई वार्डो में कई सामग्री चूहे के कुतरने की सूचना अधीक्षक कार्यालय में आती रहती है। नीकू में भी मच्छर और चूहे को मारने के लिए ठेकेदार को बहाल किया गया था। उसको भुगतान के बाद अगले साल से ऐसी व्यवस्था नहीं की जा सकी। नीकू वार्ड में बाहरी के प्रवेश पर है पाबंदी :
डीएमसीएच में नीकू के दो भवन हैं, जिसमें कुल 35 रेडिएंट वार्मर है। इसमें डॉक्टर और स्टाफ नर्स को ही जाने की इजाजत है। नीकू वार्ड में बाहरी लोगों के जाने पर पाबंदी है। ताकि इलाजरत नवजात को किसी प्रकार का संक्रमण नहीं हो। नीकू के प्रथम भवन में कुल 15 रेडिएंट वार्मर लगे हैं, दूसरे भवन में बीस रेडिएंट वार्मर है। सभी अत्याधुनिक जीवन रक्षक से लैस है। यहां जाने के लिए तीन कांच का गेट बना है। दोनों भवन के नीकू के रेडिएंट वार्मर नवजात से हमेशा फूल रहता है, जहां 24 घंटे मरीजों की देखभाल के लिए डॉक्टर की तैनाती है। भीतर मात्र स्टाफ नर्स और डॉक्टर ही मौजूद रहते हैं। नवजात शिशु को स्तनपान कराने के लिए मां को पहले गेट पर नवजात शिशु दिया जाता है। इसके बाद ऐसे मां को बाहर के कक्ष में बैठाया जाता है। हालांकि मां के नीकू के बाहर रात गुजारने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। इस कारण मां रातजगा करती हैं। भीड़ इतनी रहती है कि नवजात की मां को बरामदे पर बैठना और सोना पड़ता है।
इलाजरत नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए माताओं को रातजगा करना पड़ता है।