रक्तदान को ले फैली भ्रामक सोच को जन जागरूकता से दूर करना आवश्यक
रक्तदान हमारी मानवीय संवेदना का प्रतीक है व इसके लिए ²ढ़ इच्छाशक्ति व उत्साह आवश्यक है।
दरभंगा। रक्तदान हमारी मानवीय संवेदना का प्रतीक है व इसके लिए ²ढ़ इच्छाशक्ति व उत्साह आवश्यक है। सेवाभावी और संवेदनशील व्यक्ति रक्तदान की ओर स्वत: प्रवृत्त होते हैं। रक्तदान से मरणासन्न व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। रक्त का कृत्रिम निर्माण नहीं किया जा सकता। हिमोफीलिया, थैलेसीमिया, दुर्घटना, ऑपरेशन व प्रसव के समय रक्त चढ़ाने की विशेष जरूरत होती है, जो स्वैच्छिक रक्तदान से ही संभव है। उक्त बातें डीएमसीएच अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद ने एचडीएफसी बैंक प्रायोजित एवं एपैक्स फाउंडेशन व भारत विकास परिषद की विद्यापति शाखा के संयुक्त तत्वावधान में पश्चिम दिग्घी में आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में कही। अधीक्षक ने कहा कि अभी रक्तदान के प्रति लोगों में कुछ गलत एवं भ्रामक सोच है, जिसे ऐसे आयोजनों एवं जन जागरूकता के माध्यम से दूर किया जाना आवश्यक है। प्रो. बीबीएल दास ने कहा कि रक्तदान मानव का मानव के प्रति उत्कृष्ट सेवा है। इससे बड़ी सेवा दूसरी नहीं हो सकती, जो मानवता की रक्षा करती हो। परिषद के उत्तर बिहार शाखा के महासचिव राजेश कुमार, प्रो. एसके शर्मा, डॉ. आरएन चौरसिया, प्रो. विभूति भूषण झा, डॉ. केके चौधरी, छोटे चौधरी, उज्ज्वल कुमार आदि ने भी अपने विचार रखे। डीएमसीएच से रक्त संग्रह समूह में डॉ. एरन चांदनी, साकेत कुमार सिंह, अब्दुल खबीर व एचडीएफसी बैंक के मुकेश कुमार झा आदि उपस्थित रहे। कुल 35 लोगों ने रक्तदान किया जिनमें उज्ज्वल कुमार, अजीत कुमार झा, शंभू झा, राजेश कुमार, प्रकाश कुमार झा, डॉ. केके चौधरी, रामप्रकाश रमण, दिलीप महासेठ, जीवछ प्रसाद सिंह, रघुवंश कुमार, उदय मंडल, नंदन झा, अवनीश कुमार सिंह, निखिल कुमार झा आदि शामिल रहे।
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