दीक्षा समारोह में पीजी व पीएचडी के 2500 छात्रों को मिलेगा प्रमाण पत्र
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में नौवें दीक्षा समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है।
दरभंगा । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में नौवें दीक्षा समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। समारोह को लेकर विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में दिन-रात कार्य चल रहा है। दीक्षा समारोह में राज्यपाल व यूजीसी के चेयरमैन के आगमन को लेकर विवि परिसर का कोना-कोना चमकाया जा रहा है। परिसर की साज-सज्ज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 12 मार्च को विश्वविद्यालय के डॉ. नागेंद्र झा स्टेडियम में होने वाले समारोह का उदघाटन सूबे के राज्यपाल लालजी टंडन करेंगे। दीक्षा भाषण देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन प्रो. धीरेंद्र पाल ¨सह अपनी स्वीकृति दे चुके हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में सूबे के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा को आमंत्रण भेजा जा चुका है, अभी तक आधिकारिक स्वीकृति नहीं मिली है। विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह के तुरंत बाद पांच अंगीभूत कॉलेजों में भी दीक्षा समारोह होने हैं जिसमें स्नातक उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को सर्टिफिकेट दिए जाऐंगे। ऐसे में परीक्षा विभाग पर वर्कलोड बढ़ा हुआ है। परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशोक कुमार मेहता ने बताया कि यह पहली बार है जब परीक्षा विभाग एक साथ छह दीक्षा समारोह की तैयारी में जुटा है। डॉ. मेहता के अनुसार सारे प्रमाण पत्र समय से पूर्व तैयार कर लिए जाऐंगे। हालांकि, विश्वविद्यालय में बीच-बीच में हो रहे प्रदर्शन व हड़ताल से कामकाज प्रभावित हो रहा है। ऐसे में समय से डिग्रियां तैयार करना परीक्षा विभाग के लिए बड़ा टास्क बन चुका है।
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बंटेगी कुल 2500 डिग्रियां :
विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में उपाधि प्राप्त करने के लिए कुल 2500 आवेदन विश्वविद्यालय को प्राप्त हुए हैं। इसमें पीएचडी के 489 को छोड़ शेष पीजी की डिग्रियों से संबंधित आवेदन हैं। बता दें कि विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में वर्ष 2017 व 2018 में स्नातकोत्तर की परीक्षा पास करने वाले एवं 31 दिसंबर 2018 तक पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को डिग्री मिलेगी। यानी की दीक्षा समारोह के साथ ही विश्वविद्यालय डिग्री प्रदान करने में अपडेट हो जाएगा। पहली बार मालवीय पगड़ी का होगा उपयोग :
दीक्षा समारोह में पहली बार मालवीय पगड़ी का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, इसका विरोध भी हो रहा है। राजभवन से सूबे के सभी विश्वविद्यालयों के लिए पारित ड्रेस कोड को पहली बार विश्वविद्यालय लागू कर रहा है। पिछले दीक्षा समारोह में परिधान तो पारंपरिक रहे, लेकिन अतिथियों व छात्रों के माथे पर साफा पहनाया गया था। इस बार मालवीय पगड़ी रहेगी। विरोध करने वाले इसकी जगह मिथिला के पारंपरिक पाग-चादर को शामिल करने की मांग कर रहे है। हाल ही में संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में पाग के उपयोग से विरोधियों को बल मिल रहा है। जानकारों की मानें तो राजभवन की अधिसूचना में केवल संस्कृत विश्वविद्यालय एवं अरबी-फारसी विश्वविद्यालय को ही अपने पारंपरिक परिधान उपयोग करने की छूट है, शेष सभी विश्वविद्यालयों पर ड्रेस कोड एक समान लागू होना है।