फलदार व औषधीय पौधे पर्यावरण के साथ-साथ समाज के लिए भी बेहद उपयोगी
दरभंगा। वर्तमान में बिहार सरकार का मुख्य फोकस राज्य में हरिट पट्टी के विकास की है।
दरभंगा। वर्तमान में बिहार सरकार का मुख्य फोकस राज्य में हरिट पट्टी के विकास की है। पिछले कुछ वर्षाें में इस दिशा में सरकार के प्रयास सफल भी रहे हैं। झारखंड से अलग होने के बाद बिहार में हरित पट्टी कुल भूभाग का 10 फीसद था, जबकि वन क्षेत्र मात्र सात फीसद। बंटवारा के बाद हरित पट्टी के विकास के लिए पूरे राज्य में अभियान चलाकर पौधरोपण की शुरूआत हुई। उसका नतीजा है कि आज सूबे में हरित पट्टी 10 से बढ़कर 15 फीसद हो चुकी है। इस क्रम में कई ऐसे पौधे भी लगाए गए जो समाज के लिए उपयोगी ना हों, लेकिन पर्यावरण को फायदा जरूर पहुंचा रहे। वनस्पति विज्ञानी प्रो. विद्यानाथ झा कहते हैं कि पौधे जैसे भी हों, ऑक्सीजन तो देते ही हैं। ऐसे में जो पौधे लग रहे हैं, वे किसी ना किसी रूप में पर्यावरण के लिए लाभकारी ही हैं। कहा कि सरकार की प्राथमिकता हरित पट्टी का विकास है। इसमें ना केवल सरकार, बल्कि कई आम लोग भी बेहद सक्रियता से अपनी सहभागिता दे रहे हैं। युवाओं में काफी जागरूकता आई है। यह सुखद है कि वर्तमान में सरकार के साथ ही आम लोगों का रूझान पौधरोपण की दिशा में है। प्रो. झा ने कहा कि हमारे प्राचीन धर्मशास्त्र कहते हैं कि जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शऩ नहीं करता है। आधुनिक विज्ञान कहता है कि पेड़ों द्वारा उत्सर्जित ऑक्सीजन और कार्बनडाइक्साईड गैस के अवशोषण के गुण मानव जीवन के लिए अमोघ वरदान है। पेड़-पौधे धार्मिक कार्यकलापों के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं रोजगार के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ------ प्राकृतिक संतुलन में मुख्य भूमिका निभाते पेड़ : प्राकृतिक संतुलन में पेड़ मुख्य भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिक आपदाएं, प्रकृति के असंतुलन से ही बढ़ी हैं। यदि इन पर अंकुश लगाना है तो पौधरोपण पर अधिक से अधिक जोर देना होगा। पौधरोपण करने के उपरांत उनकी सुरक्षा करना बेहद जरूरी हो जाता है। प्रतिवर्ष लाखों पेड़ लगाए जाते हैं, लेकिन सुरक्षा एवं देखभाल के अभाव में वे जल्द ही दम तोड़ जाते हैं। इससे कोई लाभ नहीं होने वाला है। हमें यह निश्चय करना होगा कि जहां से एक पेड़ कटे, वहां कम से कम दो पेड़ लगाने चाहिए। यदि हम हर पर्व, जन्मदिन अथवा अन्य खुशी के पावन अवसरों पर पौधारोपण करने व पौधे उपहार स्वरूप देने की परंपरा शुरू करने का निश्चय करें तो नि:सन्देह अल्प समय में ही धरा वृक्षों से हरी भरी हो जायेगी और चहुंओर सुख, समृद्धि एवं शांति की अनहद बयार बहती नजर आयेगी। प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति तो मिलेगी ही, साथ ही अपार पुण्य एवं मानसिक शांति की भी प्राप्ति होगी। कुल मिलाकर वृक्ष सृष्टि के आधार हैं। इनकी संख्या बढ़ाकर ही हम धरती पर हरियाली के साथ खुशहाली ला सकते हैं। -------- मैदानी इलाकों के लिए फलदार पौधे उपयोगी : मैदानी इलाकों में आम की विभिन्न प्रजातियां, कटहल, लीची, जामुन, अमरूद, आंवला आदि फलदार पौधे काफी उपयोगी हैं। ये पौधे ना केवल पर्यावरण के लिए उपयोगी हैं, बल्कि ये समाज के लिए भी बेहद उपयोगी हैं। इसके अलावा नीम, पीपल, पाकड़, बरगद आदि के पौधे अत्यंत लाभकारी हैं। ये पौधे बड़े होकर कई जीव-जंतुओं के लिए आश्रय का कार्य करते हैं। ऐसे पौधे हमारी धार्मिक आस्था से भी जुड़े हुए हैं। इसके अलावा वन विभाग ने हाल में सेमल व पॉपलर जैसे पौधे लगाने पर जोर दिया है। ये पौधे भी आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। -------------