ताजिया मिलान में उमड़ी भीड़, दिया शांति का पैगाम
मुहर्रम की नवमी और दसवीं तारीख का इस्लाम में बड़ा महत्व है। मुस्लिम समाज मे इस दिन को एक खास रुप मे मनाया जाता है। इस दिन लोग दान भी करते हैं। मुहर्रम का महीना उर्दू कैलेंडर के मुताबिक पहला महीना है।
दरभंगा । मुहर्रम की नवमी और दसवीं तारीख का इस्लाम में बड़ा महत्व है। मुस्लिम समाज मे इस दिन को एक खास रुप मे मनाया जाता है। इस दिन लोग दान भी करते हैं। मुहर्रम का महीना उर्दू कैलेंडर के मुताबिक पहला महीना है। इस्लाम में चार माह सबसे खास हैं जिसमें मुहर्रम भी आता है। इस माह को गम का महीना भी कहा जाता है, क्योंकि मुहर्रम की दसवीं तारीख को अल्लाह के आखिरी नबी के नवासे हुसैन की शहादत हुई थी। इसलिए, यह महिना हुसैन की शहादत का गवाह भी है। इस महीने की 9 और 10 तारीख को मुस्लिम समाज के लोग रोजा भी रखते हैं। हुसैन की याद मे महफिल भी सजाई जाती है। कई जगहों पर ताजिया का निर्माण होता है। पारंपरिक हथियारों से खिलाड़ी खेलों का प्रदर्शन करते हैं। अखाड़ों से जलूस निकलता है। इस वर्ष भी शांतिपूर्वक मंगलवार को क्षेत्र के सरामहमदपुर, डीह बेरई, धोइ घाट, भालपटृी, लक्ष्मीसागर, भेलुचक आदि गांवों से मुहर्रम का जुलूस निकला गया। ताजिया मिलान भी हुआ। कई अखाड़ों का ताजिया मिलान हुआ। इस दौरान या हुसैन, या अली के नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। भेलुचक अखाड़ा, धोइ घाट अखाड़ा, लक्ष्मीसागर अखाड़ा, डीहबेरई अखाड़ा के खिलाड़ियों ने शांतिपूर्वक खेलते हुए भाईचारे की मिसाल पेश की। ताजिया मिलान के वक्त ग्रामीण मीर मो. सुहैब, ़फकीर आलम, मो. दुखी, कैलु नदाफ, मो. शाहिद, मो. अफजल, मो. सकलैन समेत मुहर्रम कमेटी के सभी सदस्यों पैनी नजर बनाए हुए थे। जुलूस मे खिलाड़ियों के अलावा महिला, पुरुष, बच्चे, वृद्ध सभी साथ नजर आए। अखाड़े पर लगाए गए लाल-पीली बत्ती से अखाड़ा जगमग कर रहा था। कई जगहों पर मेले जैसा ²श्य देखने को मिला। अस्थायी रुप से दुकानें भी सजी थी और खरीदारी करने वालों की भीड़ भी रही। प्रशासन चौकस रहा। गौंसाघाट अखाड़े पर थानाध्यक्ष शशिकांत सिंह एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी सदर रवि सिन्हा मौजूद रहे।
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