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शहर के कई मोहल्लों में जलजमाव, लोगो में आक्रोश

शहर के मुख्य मार्ग से पानी तो निकल गया लेकिन कई मोहल्लों की सड़कों पर अभी जलजमाव है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 12:49 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 06:32 AM (IST)
शहर के कई मोहल्लों में जलजमाव, लोगो में आक्रोश
शहर के कई मोहल्लों में जलजमाव, लोगो में आक्रोश

दरभंगा। शहर के मुख्य मार्ग से पानी तो निकल गया लेकिन, कई मोहल्लों की सड़कों पर अभी जलजमाव है। जलनिकासी की समुचित व्यवस्था नही ंहोना इसका मुख्य कारण है। साहसुपन, फैजुल्लाह खां, लक्ष्मीसागर, कटरहिया, बलभद्रपुर आदि मोहल्ले के लिए जलजमाव की समस्या बरकरार है। हालांकि कई मोहल्ले में जलनिकासी के बाद निगम प्रशासन की ओर से ब्लीचिग का छिड़काव किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि पहले शहर का पानी सरल ढंग से बाहर निकल जाया करता था। लेकिन, अब मुश्किल हो गया। जिन खाली जगहों में पानी बहता था, आज वहां आबादी बस गई है। नतीजा यह है कि पानी शहर में ही रह जाता है। ललित नारायण मिश्र पथ से पूरब, दरभंगा टावर, कादिराबाद आदि इलाके का पानी कंगवा गुमटी, अल्लपट्टी पुल संख्या 23 व लहेरियासराय चट्टी चौक से निकलता है। लेकिन, यहां स्थिति पहले जैसी नहीं रही। वहां बड़ी-बड़ी इमारत खड़ी हो गई हैं। जरूरत थी उस भूमि के अधिग्रहण की। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यही हाल पश्चिम वाले भाग का है। ललित नारायण मिश्रा पथ से पश्चिम वाले मोहल्ले का पानी स्लाटर हाउस, जिला स्कूल के पश्चिम नासी व सैदनगर से एकमी की ओर जाने वाली अंडर ग्राउंड आउट लेट से बागमती नदी व आस-पास के क्षेत्र से निकलता है। लेकिन, इस इलाके में भी नई आबादी तेजी से बसी है। जानकारों की बात माने तो नालों की सफाई भर से समस्या का निदान संभव नहीं है। बल्कि, शहर से पानी निकल कर कहां जाएगा, इसका पुख्ता प्रबंध करना होगा। तभी जल-जमाव की समस्या से निजात मिल सकता है।

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- अतिक्रमित है नाला :

शहर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा है, जहां का नाला अतिक्रमित नहीं है। इसे अतिक्रमित करने वालों में हर तबके के लोग शामिल हैं। अमीर हो या गरीब जिसे जहां मौका मिला उसने अपने आवास के सामने नालों को समेट लिया। कई जगहों का हाल तो ऐसा हो गया है कि नाला की सफाई के दौरान कुदाल तक नहीं डाला जा सकता है। कई घरों व दुकानों के सामने नालों को ढंक दिया गया है। लोग उसके ऊपर दुकान चलाते हैं। कई ने नाले पर घर बना लिया है। यही कारण है कि कई नालों का अस्तित्व खत्म हो गया है। जानकारों की मानें तो आबादी बढ़ने के बावजूद अगर पुराने नालों को अतिक्रमण मुक्त करा लिया जाए तो समस्या का निदान आसानी से हो जाएगा।

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- नहीं उठाया जाता निकाला गया कचरा :

छोटे-छोटे नालों की सफाई तो ऐसे भगवान भरोसे ही होती है। अगर माह में एक बार या दो बार हो भी जाए तो सिर्फ खानापूरी की जाती है। कचरा को निकालकर सड़क किनारे में रख दिया जाता है। लेकिन, उसका उठाव नहीं हो पाता है। नतीजा, यह होता है कि कचरा पुन: नाला में चला जाता है। हर नाला कीचड़ से भरा हुआ है। पर इसकी सफाई दिन देखकर ही की जाती है। प्रावधानों के अनुसार सड़क का निर्माण नाला के साथ होना है। पर एजेंसी बिना इस बात का ख्याल किए सड़क का निर्माण कर रही है। यह जल निकासी में कारगर होगा या नहीं ? इसकी परवाह किसी को नहीं है। लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी जल जमाव से शहरवासियों को दो चार होना होता है। शहर को जल जमाव से मुक्ति दिलाने को लेकर निगम की ओर से सालाना करोडा़ें रुपये खर्च किए जाते हैं। बजट प्रतिवेदन के अनकूल सालाना छह करोड़ से अधिक का खर्च नाला पर किया गया है। इसमें कर्मियों का वेतन, उपस्कर, भाड़े के ट्रैक्टर, डीजल, मोबिल, मरम्मत आदि पर किए गए खर्च को अंकित किया गया है। लेकिन, नालों की स्थिति देखने के उपरांत खर्च की गई राशि पर हर जानकार सोचने पर मजबूर हो जाते हैं।


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