घनश्यामपुर में बाढ़ ने मचाई तबाही, सभी 12 पंचायतें पानी से घिरीं
कमला-बलान में आई बाढ़ से घनश्यामपुर के सभी 12 पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। बाढ़ ने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है।
दरभंगा। कमला-बलान में आई बाढ़ से घनश्यामपुर के सभी 12 पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। बाढ़ ने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। बाढ़ से लगभग दो हजार मकान ध्वस्त हुए हैं तथा डेढ़ लाख की आबादी प्रभावित हुई है। पानी कुमरौल तथा ककोढ़ा के टूटान होकर बहुत तेजी से निकल रहा है। घनश्यामपुर के जयदेवपट्टी, लालापट्टी, तुमौल, गोढै़ल, नयानगर, कुमरौल, बुढ़ेब, लगमा, पाली, गनौन, ब्रहमपुरा, मसवासी आदि गांव की हालत नाजुक बनी हुई है। सैकड़ों लोगों के घरों में पानी दस्तक दे चुका है। लगभग 10 हजार परिवार विस्थापित हुए हैं। नदी के दोनों तटबंध के बीच डूब क्षेत्र में बसे गांवों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। तीन दिन गुजर जाने के बावजूद अब तक एक भी सरकारी अधिकारी गांव में झांकने तक नहीं आए। लोग घर की छतों, रेज्ड प्लेटफार्म, बांधों, मचान, चौकी आदि पर जीवन-यापन कर रहे हैं। बाढ़ में फंसे लोगों तक राहत सामाग्री नहीं पहुंच पाई है। चापाकल व शौचालय डूबने से लोगों को भारी कठिनाई हो रही है। बाढ़ से घनश्यामपुर-रसियारी के बीच पीडब्ल्यूडी सड़क में घनश्यामपुर-बिरौल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क में तथा पाली-ब्रहमपुरा सड़क सहित कई सड़कों पर आवागमन ठप हो गया है। पानी की तेज धारा कई मवेशियों को बहा ले गई। फंसे लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ की दो टीमें काम कर रही है। स्थानीय प्रशासन की ओर से 44 स्थानों पर बाढ़ पीड़ितों को खिचड़ी खिलाने का दावा किया गया है। अब तक मात्र 14 नाव का परिचालन किया जा रहा है। कहीं मेडिकल कैंप नहीं लगाया गया है।
-----------
खुले आसपान के नीचे प्राकृतिक आपदा का सामना करने को विवश पीड़ित
इधर, कमला-बलान पश्चिमी तटबंध पर रसियारी से कुमरौल गांव के बीच लगभग डेढ़ सौ परिवार शरण लिए हुए हैं। तेज धूप व भारी बारिश में विस्थापित परिवार खुले आसमान के नीचे रह रहे है। दो दिनों से भूखे-प्यासे बाढ़ पीड़ित, गेहूं, मूंग, चूड़ा भिगोकर अपनी जान बचा रहे हैं। पेयजल, भोजन, आवास, शौचालय, पशुचारा आदि की समस्या मुंह बाए खड़ी है। इंसान से साथ-साथ मवेशी भी भूखे हैं। बांध पर शरण लिए कुमरौल गांव के शिवजी शर्मा, भिखो यादव, दिलखुश यादव, परमीला देवी, सुदामा देवी, रमाकांत यादव आदि ने बताया कि बांध टूटने के बाद जलप्रलय के बीच किसी तरह जान बचाकर बांध पर आ गए। न घर है न सर छिपाने के लिए प्लास्टिक। प्रशासन की ओर से अबतक कोई मदद नहीं की गई है। अधिकारी कहते हैं कि राहत शिविर चल रहा है। लेकिन शिविर कहां चल रहा हैं, पता नहीं। हम लोगों से भी बुरी हालत बाउर, नवटोलिया, गिद्धा, गिदराही आदि गांवों की है। जहां लोग अब तक फंसे हैं।
-----------------