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झलक रही थी कुछ कर गुजरने की तमन्ना

दरभंगा। आइसीएसई की दसवीं परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र व छात्राओं का उत्साह देखते ही बनता था। टॉप टेन म

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 01:36 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 01:52 AM (IST)
झलक रही थी कुछ कर गुजरने की तमन्ना
झलक रही थी कुछ कर गुजरने की तमन्ना

दरभंगा। आइसीएसई की दसवीं परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र व छात्राओं का उत्साह देखते ही बनता था। टॉप टेन में आने वाले बच्चों में कुछ कर गुजरने की तमन्ना झलक रही थी। कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर, कोई शिक्षक तो कोई आइपीएस व आइएस बन कर देश की सेवा करना चाहता है। कुछ ऐसे परीक्षार्थी मिले, जिन्होंने विषम परिस्थिति में कठिन मेहनत कर कामयाबी का झंडा बुलंद किया। वहीं टॉप टेन पर दूसरे नंबर पर आई नैना कुमारी बेटियों के लिए सीख बनी। उसने ग्रामीण परिवेश में रहते हुए यह कामयाबी हासिल की। इससे भी बड़ी बात यह थी कि वह गांव से साईकिल से शहर आकर पढ़ती थी। प्रस्तुत है टॉप टेन में आने वाले छात्र व छात्राओं से बातचीत। इन छात्र व छात्राओं से हुई बातचीत पर यह निष्कर्ष निकलता है कि पूरे जुनून व जज्बा से पढ़ाई की जाए तो सफलता तय है।

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विकट परिस्थिति में भी नहीं मानी हार

टॉप टेन में आने वाला बेंता का रहने वाला जय राज ने विकट परिस्थिति में भी हार नहीं मानी। जय की कामयाबी पर उसकी बहनों में गजब का उत्साह दिखा। उसका रिजल्ट लेने आई उसकी बहनों ने बताया कि जय एकलौता भाई है। हम तीन बहन हैं। जय सबसे छोटा है। 2015 में हमारे पिताजी रमेश नायक का निधन सड़क हादसे में हो गया। वे डीलर थे। परिवार का सारा बोझ मां माधवी देवी पर आ गया। पापा के निधन से परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। बावजूद हमलोगों ने हार नहीं मानी। मां के कुशल नेतृत्व में हमलोग आगे बढ़ते गए। जय और अधिक मेहनत से पढ़ाई करने लगा। दसवीं की परीक्षा समाप्त होते ही वह आगे की पढ़ाई के लिए कोटा चला गया। वह इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहता है।

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किसान रहते बेटे को दिलाई मंजिल

मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड के बसैठ गांव के रहने वाले श्यामा नंद चौधरी ने किसान रहते बेटे प्रवीण कुमार चौधरी को कामयाबी दिलाई। प्रवीण कंप्यूटर इंजीनियर बन कर देश की सेवा करना चाहता है।

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मेहनत करने पर तय है सफलता

टॉप टेन में स्थान बनाने वाला प्रत्युष कुमार ने बताया कि लगन से मेहनत करने पर सफलता कोई रोक नहीं सकता है। वह इंजीनियर बन कर देश की सेवा करना चाहता है। उसके पिता राजेंद्र यादव सेवानिवृत कर्मी हैं तो मां गायत्री देवी कुशल गृहिणी। वह शहर के बलभद्रपुर में रहकर पढ़ाई करता था।

---------डॉक्टर बन करुंगा देश की सेवा

दरभंगा शहर से सटे बीरा गांव स्थित मध्य विद्यालय में हेड मास्टर के पद पर कार्यरत विनय चंद्र झा व मां सुजाता देवी के बेटे अमृत राज ने बताया कि वह डॉक्टर बन कर देश की सेवा करुंगा। उसने बताया कि प्रति दिन छह से सात घंटे पढ़ाई करता था।

-----------------पूरे उल्लास व उम्मीद से करें तैयारीटॉप टेन में जगह बनाने वाला अंकुर कुमार गुप्ता ने कहा कि छात्रों को पूरे उल्लास व उम्मीद के साथ तैयारी करनी चाहिए। पढ़ाई के समय एकाग्रता बनी रही। लहेरियासराय स्थित को-ऑपरेटिव बैंक में सीनियर ऑडिट ऑफिसर पद पर कार्यरत शंकर कुमार गुप्ता व गृहिणी किरण देवी का बेटा अंकुर की चाहत इंजीनियर बनना है।

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प्रोफेसर बनने की है इच्छामेडोना इंग्लिश स्कूल में ऑफिस स्टाफ के रूप में कार्यरत सुमन कुमार व बेला पब्लिक स्कूल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत नीरा कुमारी की बेटी नैना कुमारी की प्रोफेसर बनने की इच्छा है। वह छह से सात घंटे पढ़ती थी। वह अंग्रेजी में प्रोफेसर बनना चाहती है। फिलहाल साइंस से बारहवीं की पढ़ाई करेगी।

------------------मनोबल बनाए रखें छात्र

टॉप टेन में आने वाला डरहार गांव निवासी व दवा व्यवसायी किशोर कुमार मिश्र व कुशल गृहिणी नीतू मिश्र का पुत्र भास्कर कुमार मिश्र का मानना है कि छात्रों को हमेशा उच्चा मनोबल रखना चाहिए। मेहनत से पढ़ाई करने पर कामयाबी मिलनी तय है। वह डॉक्टर बनना चाहता है।

--------------सफलता को श्रेय स्कूल को

टॉप टेन में पहला स्थान बनाने वाला विवेक आनंद के पिता व शिक्षक पवन कुमार ¨सह व मां शिक्षिका मुन्नी कुमार ने अपने बेटे की सफलत का श्रेय स्कूल के उत्कृष्ट पठन पाठन की व्यवस्था को दी। उन्होंने कहा कि विवेक की इच्छा इंजीनियर बनना है।

----------------------हॉस्टल में रह पढ़ाई करता था पियुष टॉप टेन में स्थान बनाने वाला पियुष वैभव स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता था। उसके पिता वैद्यनाथ सहनी शिक्षक व मांग संजू कुमारी शिक्षिका हैं। वह डॉक्टर बनाना चाहता है। उसके पिता वैद्यनाथ ने बताया कि पियुष ने अपने बल बूते मेहनत कर कामयाबी हासिल की है। वह अलग से ट्यूशन या को¨चग नहीं करता था।

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