18 में 13 सरकारी नलकूप ठप, पटवन के बिना बर्बाद हो रही फसल
मघुबनी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले केवटी विधान सभा के केवटी प्रखंड में राजकीय नलकूपों की स्थिति दयनीय है।
दरभंगा। मघुबनी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले केवटी विधान सभा के केवटी प्रखंड में राजकीय नलकूपों की स्थिति दयनीय है। यहां के लोगों की जीविका का मुख्य आधार खेती है, लेकिन नलकूपों की बदहाली के कारण किसान व खेती की हालत भी बदहाल है। किसानों के लिए सबसे बड़ी परेशानी है कि उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंचता। सरकार की ओर से सिचाई के लिए नलकूप तो लगाए गए, लेकिन उसका लाभ किसानों को मिल रहा है या नहीं, यह देखने वाला कोई नहीं। नतीजा यह है कि कुल 18 में 13 नलकूप तकनीकी खराबी के कारण ठप पड़े हैं और किसानों व खेतों का मुंह चिढ़ा रहे हैं। किसान बंद नलकूपों को देखकर सरकार व विभागीय पदाधिकारियों को कोस कर अपनी भड़ास निकाल लेते हैं। यहां के किसान कभी सूखा तो कभी बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। ऐसे में यदि सरकारी नलकूप सही होते तो किसानों को विशेषकर सूखा के समय काफी राहत मिल जाती, लेकिन ऐसा हो नही पा रहा। केवटी से राजकीय नलकूपों की पड़ताल करती विजय कुमार राय की रिपोर्ट।
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10-12 हजार हेक्टेयर में होती खेती, किसान बेहाल :
यहां का कुल रकबा 18 हजार 5 सौ हेक्टेयर का है। इनमें से करीब 10 से 12 हजार हेक्टेयर भूमि में खेती की जाती है। इस बड़े क्षेत्र के लिए विभिन्न गांवों में 18 नलकूप लगाए गए। जब नलकूप लगे तो किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्हें लगा कि अब उनकी समस्याओं का निदान होगा। सिचाई के अभाव में अब उनके खेतों में फसल बर्बाद नहीं होगी। किसान सरकार के प्रति आभार जता रहे थे। लेकिन, कुछ ही दिनों में उनकी खुशी गायब हो गई। तकनीकी खराबी व ऑपरेटरों की कमी के कारण एक के बाद एक कुल 13 नलकूप ठप पड़ गए। वर्तमान में केवल पांच नलकूप ही काम कर रहे हैं जो इतने बड़े क्षेत्र में सिचाई उपलब्ध कराने के लिए काफी नहीं है। सिचाई के अभाव में इस बार किसानों की खरीफ व रबी फसलें बर्बाद हो गई। किसानों में त्राहि-त्राहि मची है। अब किसानों को केवल प्राकृतिक बारिश की उम्मीद है। यदि इस बार मानसून सही रहा तो किसानों को थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन यदि मानसून ने धोखा दिया तो किसान नलकूपों की बदहाली का एक बार फिर शिकार बनेंगे।
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यहां बंद हैं राजकीय नलकूप :
केवटी, रजोखर, बरही, नयागांव, लदारी, हाजीपुर, खिरमा, जलवारा, कर्जापट्टी, माघोपट्टी, ननौरा, समैला व मलियाटोल में नलकूप ठप पड़े हैं।
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यहां काम कर रहा नलकूप :
प्रखंड कृषि कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार केवल कोयलास्थान, चतरा, पचाढ़ी व पैगंबरपुर में नलकूप काम कर रहे हैं।
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कहते हैं किसान : क्षेत्र की भूमि काफी उर्वर है। यहां सभी फसलें होती है। केवल सिचाई की बेहतर सुविधा नहीं होने से किसानों का मोह खेती से भंग होने लगा है। जब नलकूप लगा था तो एक उम्मीद जगी थी, लेकिन सरकार व विभाग की उपेक्षा के कारण इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा। जनप्रतिनिधि भी उदासीन बने हुए हैं। किसानों की दयनीय हालत की किसी को परवाह नहीं।
- राम पुकार यादव, किसान, बरही
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हमारे प्रतिनिधि कृषि अनुदान के बदले सिचाई की योजनाओं के लिए संसद और विधानमंडल में आवाज उठाएं। समयबद्व योजना बनाकर नहर प्रणाली, भूगर्भ जल संरक्षण, सिचाई के लिए हर खेतों में नहर, पईन और नदियों की उड़ाही जैसे प्राकृतिक जल स्त्रोतों के संरक्षण व संवर्धन की पहल होनी चाहिए। किसान खुशहाल होंगे तभी देश खुशहाल बनेगा।
- कन्हैया प्रसाद गुप्ता, किसान, रनवे
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जनता जाग चुकी है। हम वोट उसी को देंगे, जो क्षेत्र का विकास, सिचाई की व्यवस्था और कृषि के साथ ही किसानों के लिए जल संकट से निजात दिलाने का वादा करें। सरकार की घोषणा के मुताबिक किसानों को फसल का कीमत नहीं मिल पाता है। इसके कारण किसान औने-पौने कीमत में अपनी फसल बिचौलियों के हाथों बेचने पर मजबूर हो जाते हैं।
- नसीब लाल साह, किसान, पैगंबरपुर
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किसानों के हित में बंद पड़े नलकूपों को अविलंब चालू करने की आवश्यकता है। नलकूप बंद होने के कारण पटवन में किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पटवन के अभाव में किसानों को काफी नुकसान हुआ है। कई किसानों का तो खेती से मोहभंग हो गया है। सरकार, संबंधित विभाग व जनप्रतिनिधि किसानों की समस्याओं को लेकर उदासीन हैं।
- नीलांबर प्रसाद, किसान, दड़िमा
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