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आंवले के पेड़ की पूजा कर सेहत और समृद्धि का मांगा वरदान

बक्सर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को यानी सोमवार को श्रद्धालुओं ने आंवले पेड़ की पूजा

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 04:10 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 03:06 AM (IST)
आंवले के पेड़ की पूजा कर सेहत और समृद्धि का मांगा वरदान

बक्सर : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को यानी सोमवार को श्रद्धालुओं ने आंवले पेड़ की पूजा पूरे मनोभाव के साथ की। इस दौरान महिलाओं ने पहले दूध व गंगाजल से अभिषेक किया। इसके बाद पेड़ के तने में कच्चा सूत लपेटते हुए 108 बार परिक्रमा की तथा धूप, दीप, अक्षत, गंध, पुष्प से पूजन कर आंवले वृक्ष की आरती उतारी और समृद्धि और सेहत वृद्धि का वरदान मांगा। वहीं, ब्राह्मणों को द्रव्य, अन्न आदि का दान कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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इस दौरान शहर के चरित्रवन, सोहनीपट्टी, सिविल लाइंस, नया बाजार आदि इलाकों में कई लोग आंवला पेड़ के नीचे ही भोजन बनाकर परिवार और मित्रों के साथ प्रसाद ग्रहण करते देखे गए। जो किसी पिकनिक स्पॉट से कम प्रतीत नहीं हो रहा था। मौके पर वास्तु शास्त्र से सरोकार रखने वाले विकास ओझा ने बताया कि आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की ²ष्टि से भी शुभ है। वैसे तो पूर्व दिशा में बड़े पेड़ को नहीं लगाना चाहिए। परंतु, आंवले के वृक्ष को इस दिशा में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। सेहत की ²ष्टि से भी आंवले का सेवन बहुत उपयोगी है। पं. अमरेंद्र कुमार शास्त्री ने कहा कि हिदू धर्म में वृक्षों की पूजा को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है। वट, पीपल, आंवला, तुलसी आदि का पूजन सेहत व समृद्धि दोनों ही कारणों से लाभप्रद है। पं. उपेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि पद्म पुराण में आंवला वृक्ष को साक्षात विष्णु का स्वरूप बताया गया है। यह विष्णु प्रिय है और इसके स्मरण कर लेने मात्र से गो-दान के बराबर फल मिलता है। कर्मकांडियों ने कहा कि अक्षय नवमी की पूजा करने से सुख-समृद्धि व संतति कामना के साथ-साथ कई जन्मों तक पुण्य क्षय न होने का लाभ मिलता है।

भक्तिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ अक्षय नवमी का त्योहार

फोटो- 23बक्स3

जागरण संवाददाता, डुमरांव (बक्सर) : अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न भागों में अक्षयनवमी का त्योहार श्रद्धापूर्वक, भक्तिपूर्ण माहौल में धूमधाम के साथ सोमवार को मनाया गया। इस मौके पर महिला श्रद्धालुओं द्वारा आंवला वृक्ष में विधिवत पूजा-अर्चना की गई एवं ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर प्रसाद ग्रहण कराया गया। यही नहीं, इस अवसर पर आंवला वृक्षों के नीचे श्रद्धालुओं ने भोज का आयोजन कर आस-पड़ोस के लोगों को प्रसाद स्वरूप भोजन ग्रहण कराया।

श्रद्धालुओं का मानना हैं कि कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में नवमी तिथि को आंवला वृक्ष की विधिवत पूजा अर्चना करने एवं ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर प्रसाद ग्रहण कराने से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता हैं, वल्कि श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इलाके के चर्चित वैदिक पं. दामोदरदत्त मिश्र 'प्रसुन्न' ने बताया कि पूरें कार्तिक मास में आंवला वृक्ष के नीचे परम भगवान विष्णु जी का वास होता हैं। कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले जो श्रद्धालु भक्तजन इस आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं एवं धन धान्य में वृद्धि होनें के साथ साथ शरीर भी स्वस्थ रहता है। शास्त्र व पुराणों में भी आंवला वृक्ष के पूजा को काफी शुभकारी व कल्याणकारी बताया गया है। वैज्ञानिक ²ष्टिकोण से भी आंवला वृक्ष को काफी पवित्र व स्वास्थ्य के लिहाज से काफी बेहतर माना जाता हैं। अक्षयनवमी पर्व को लेकर सुबह से शाम तक पूजा अर्चना करने एवं प्रसाद ग्रहण करनें का दौर चला।


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