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रोजगार की तलाश में परदेश लौटने लगे मजदूर

कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन के दौरान अपने गांव लौटनेवाले हजारों प्रवासी मजदूर दोबारा दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हो गए हैं। जो कुछ दिनों पहले ही अपने राज्य में लौट कर आए थे। लेकिन अब भुखमरी के शिकार हो रहे मजदूर पुन दूसरे प्रदेशों में जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 11:20 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 06:15 AM (IST)
रोजगार की तलाश में परदेश लौटने लगे मजदूर

जागरण संवाददाता, डुमरांव (बक्सर) : कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन के दौरान अपने गांव लौटनेवाले हजारों प्रवासी मजदूर दोबारा दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हो गए हैं। जो कुछ दिनों पहले ही अपने राज्य में लौट कर आए थे। लेकिन, अब भुखमरी के शिकार हो रहे मजदूर पुन: दूसरे प्रदेशों में जा रहे हैं। पिछले कई दिनों से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गाजियाबाद, मुंबई और गुजरात के लिए रोजाना हजारों मजदूरों का पलायन जारी है। शनिवार को डुमरांव रेलवे स्टेशन पर दिल्ली, हरियाणा और गाजियाबाद जाने को पहुंचे दर्जनों प्रवासी मजदूरों ने बताया कि यहां रोजगार की कमी के कारण भुखमरी की समस्या उत्पन्न होने लगी है। इसलिए वापस दूसरे राज्यों में लौटने के लिए तैयार हैं। वहीं, दूसरे प्रदेशों से कंपनी के मालिकों द्वारा बार-बार मजदूरों को बुलावा भेजा जा रहा है। नतीजतन, रोटी और रोजगार के लिए बाहर जाना विवशता है। - नहीं हैं सरकार पर भरोसा कोरोना काल की शुरुआत से लेकर अब तक अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूरों का बिहार लौटना एक तरफ जहां जारी है, वहीं शुरुआत में आए प्रवासी मजदूर अब फिर से अन्य राज्यों में वापस जाने लगे हैं। सरकार द्वारा भले ही इन मजदूरों को रोजगार देने का वादा किया गया हो, लेकिन इन मजदूरों को सरकार पर भरोसा नहीं है। दिल्ली और गाजियाबाद को लौट रहे श्रीभवन यादव, कन्हैया यादव, अटल यादव, महावीर यादव, मनोज पाठक, अनिल सिंह, कन्हैया सिंह, मधु पासवान, अंशु कुमार सिंह और रिकू गुप्ता सहित कई मजदूरों ने बताया कि यहां सरकार पर भरोसा नहीं है। इसलिए रोजगार की आस में दूसरे राज्यों को लौट रहे हैं। - कहते हैं प्रवासी मजदूर गाजियाबाद में काम करनेवाले कन्हैया यादव ने कहा कि अभी धान रोपनी का सीजन चल रहा है, इसलिए हम जा रहे हैं। बिहार में लंबे समय तक अगर रहेंगे तो खाएंगे क्या। नंदन डेरा केअंशु शहादरा दिल्ली जा रहे हैं। वे कहते हैं कि कोरोना का डर तो है, लेकिन यहां रहकर पेट कैसे भरेगा? हम पति-पत्नी के अलावा बाल-बच्चे और माता-पिता हैं। गांव में रहकर करेंगे क्या, कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या? इन मजदूरों ने सोचा था कि अब अपने गांव में ही कोई काम करके परिवार का भरण-पोषण कर लेंगे। लेकिन, वैसी स्थिति नहीं दिख रही है।

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