कृषि से जुड़कर सम्मान की बुलंदियां छू रही नारी
बक्सर नया भोजपुर की महिला जूही पांडेय मशरूम की खेती भी करती हैं और मार्केटिग भी। इनक
बक्सर : नया भोजपुर की महिला जूही पांडेय मशरूम की खेती भी करती हैं और मार्केटिग भी। इनका मार्केटिग का तरीका अनोखा है। ये मशरूम से बने आचार और सूखे पाउडर बना कर मंडी में भेजती हैं और अच्छा मुनाफा कमाती हैं। व्यवसाय बढ़ा तो आलू चिप्स एवं दाल बड़ी की भी पैकेजिग कर बाजार में भेज रही हैं। खाद्य प्रसंस्करण में उनके योगदान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
इस पुरस्कार से उत्साहित होकर इन्होंने आसपास की अन्य महिलाओं के लिए रोजगार देने के लिए मशरूम प्रोसेसिग यूनिट भी अपने घर पर लगवाया है। क्षेत्र की अन्य महिलाएं भी यहां आकर कृषि का ज्ञान लेती हैं। जूही ऐसी इकलौती उदाहरण नहीं हैं, पहले जहां कृषि क्षेत्र में पुरुषों का एकाधिकार था, वहीं अब जूही जैसी कई महिलाएं कृषि, डेयरी और पशुपालन से जुड़ कर कामयाबी की बुलंदियों को छू रहीं हैं। वैदा की राजकुमार देवी ऐसी ही एक महिला हैं, जिन्होंने जीविका के सहयोग से डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में खुद को स्थापित किया है। वे सात-आठ मवेशियों का पालन-पोषण करतीं हैं और उनके दूध एवं दुग्ध उत्पाद बेच अपने बच्चों का भविष्य संवार रहीं हैं। बक्सर के ज्योति प्रकाश चौक की शिवकुमारी देवी की उम्र 65 साल से ज्यादा है और अपने पति की मौत के बाद उनके दुग्ध व्यवसाय को बखूबी संभाल रहीं हैं।
कृषि स्नातक विद्यार्थियों को जूही देती हैं ट्रेनिग
कृषि महाविद्यालय डुमरांव में शिक्षा ग्रहण करने वाले स्नातक छात्र छात्राओं को जूही पांडेय खाद्य प्रसंस्करण में ट्रेनिग देती हैं। जबकि, कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर की भूमिका में रहती हैं। जहां वे उच्च गुणवत्ता युक्त मशरूम उगाने के तौर तरीके सिखाती है। मशरूम ड्राई तथा पावडर व इससे आचार बना पैकिग करना, साथ ही इससे बाजार में बेचने के बारे में भी बताया जाता है। महज इंटर पास श्रीमती पांडेय ने केवीके बक्सर से पांच साल पहले ट्रेनिग ली थी। जिसके बाद पीछे मुड़कर नही देखा। आज ट्रेनिग देने के साथ अपने यहां से बने उत्पाद को बेचकर आमदनी कर रही है।
15 महिलाओं का समूह गठित कर किया काम
नया भोजपुर में मां काली महिला समूह का गठन कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। समूह में जुड़ी महिलाओं का कहना है कि खाद्य प्रसंस्करण में विभिन्न प्रकार की सामग्री तैयार की जाती है। जिसे बाजार में बेच कर अच्छी आमदनी होती है। जूही पांडेय के अनुसार जब काम शुरू किया गया तब कम मात्रा में पैसे आते थे। जिससे अधिक आमदनी के लिए बड़े पैमाने पर कार्य करते हुए समूह का गठन किया गया। साथ ही मशरूम प्रसंस्करण यूनिट लगाया गया। इससे समूह से जुड़ी महिलाओं की आय बढ़ी है।