खाद के लिए घर की दहलीज से बाहर निकलीं महिलाएं
यूरिया के लिए किसान किस कदर बेबस हैं। इसका नजारा इफको के कृषि मॉल पर दिख रहा है। सहज और सुलभ तरीका से यूरिया के लिए किसान घर की इज्जत कही जानेवाली महिलाओं को आगे ला खड़ा किए है।
बक्सर । यूरिया के लिए किसान किस कदर बेबस हैं। इसका नजारा इफको के कृषि मॉल पर दिख रहा है। सहज और सुलभ तरीका से यूरिया के लिए किसान घर की इज्जत कही जानेवाली महिलाओं को आगे ला खड़ा किए है। चौखट की दहलीज से बाहर निकल महिलाएं खाद के लिए कतार में खड़ी हो रही हैं। सोमवार को कृषि मॉल पर खाद के लिए हुई मारामारी के बाद मंगलवार को बदला नजारा था। पुलिस की निगरानी में बंट रहे यूरिया के लिए अच्छी-खासी भीड़ लगी थी। किसानों के भीड़ से अलग महिलाओं की कतार लगी थी। महिला किसान भी कतार में खड़ी होकर आधार कार्ड पर यूरिया की खरीद करती रही। इफको ने महिलाओं को प्राथमिकता पर पहले खाद मुहैया कराया।
अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न गांव से आई महिलाओं ने जमकर यूरिया की खरीद की। इफको ने प्रत्येक आधार कार्ड पर तीन बैग यूरिया मुहैया कराया। मॉल पर किसानों की भारी भीड़ थी। उधर, यूरिया के लिए किसानों की मारामारी अभी कम नहीं हुई है। अभी भी यूरिया की बदहाल व्यवस्था में सुधार नहीं आई है। इफको के विभिन्न डीलर अभी भी किसानों को यूरिया मुहैया नहीं करा रहा हैं। जिससे किसान परेशान हैं। बाजार में विभिन्न कंपनियों के उपलब्ध यूरिया की बिक्री महंगे दाम पर धड़ल्ले से की जा रही है। शक्तिमान के अलावा किसान आइपीएल कृभको आदि कंपनी की यूरिया साढे़ तीन सौ रुपया प्रति बैग की दर से बिक रहा है। जो निर्धारित मूल्य से करीब एक सौ रुपया अधिक है। जिससे परेशान किसान इफको यूरिया को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। इफको द्वारा खाद वितरण के लिए पैक्स के अलावा व्यापार मंडल एवं स्वावलंबी केंद्र तक को खाद बिक्री के लिए अधिकृत किया गया है। इफको ने कई दुकानदारों को भी खाद बिक्री का लाइसेंस निर्गत किया है। लेकिन, ऐसे लोगों द्वारा खाद बिक्री के प्रति रुचि नहीं लेने से स्थिति गंभीर बनी हुई है। डुमरांव व्यापार मंडल पिछले 10 वर्षों से खाद का उठाव नहीं कर रहा है। अगर व्यापार मंडल डुमरांव द्वारा खाद का उठाव और वितरण किया जाता तो निश्चित ही स्थिति इस कदर गंभीर नहीं होती। कुछ पैक्स और दुकानदारों द्वारा खाद का उठाव किया गया है। प्रशासन द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही नहीं किए जाने से स्थिति बेलगाम बनी है।
जानकार सूत्र बताते हैं कि जिन लोगों द्वारा यूरिया का उठाव किया गया है। वह निर्धारित मूल्य पर खाद नहीं बेच रहे हैं। किसानों का कहना है कि पुराना भोजपुर में यूरिया के साथ दुकानदार द्वारा सल्फर खरीदने की बाध्यता की जाती है। जिससे किसान परेशान हैं और खाद के लिए इफको के कृषि पर निर्भर हैं।