Move to Jagran APP

पंजाब से खराब गेहूं आने का मामला तूल पकड़ा, जांच करेंगे अधिकारी

भारतीय खाद्य निगम के बक्सर गोदाम में पंजाब से भेजा गया 13 ह•ार क्विटल गेहूं दरअसल खाद्य निगम की नाकामी को छिपाने की कोशिश के मद्देनजर भेजा गया था। जानकारी के मुताबिक पंजाब के मोगा से भेजा गया गेहूं पंजाब में ही उचित भंडारण नहीं होने के कारण गेहूं खराब हो गया था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 05:19 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 05:19 PM (IST)
पंजाब से खराब गेहूं आने का मामला तूल पकड़ा, जांच करेंगे अधिकारी
पंजाब से खराब गेहूं आने का मामला तूल पकड़ा, जांच करेंगे अधिकारी

बक्सर । भारतीय खाद्य निगम के बक्सर गोदाम में पंजाब से भेजा गया 13 ह•ार क्विटल गेहूं दरअसल, खाद्य निगम की नाकामी को छिपाने की कोशिश के मद्देनजर भेजा गया था। जानकारी के मुताबिक पंजाब के मोगा से भेजा गया गेहूं पंजाब में ही उचित भंडारण नहीं होने के कारण गेहूं खराब हो गया था। ऐसे में अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए अधिकारियों ने इसे बिहार में एडजस्ट करने की बात सोची और 22 वैगनों में भरा 26 ह•ार क्विटल गेहूं बक्सर के डिपो में भेज दिया।

loksabha election banner

हालांकि, इसमें केवल आधा गेहूं ही खराब था। माना जा रहा है कि, ऐसा इसलिए किया गया ताकि, गेहूं क्वालिटी टेस्ट में नहीं फंसे। हालांकि, बक्सर के डिपो मैनेजर संजय कुमार का कहना है कि, गेहूं रास्ते में भी बारिश से खराब हो सकता है। पंजाब से हमेशा गेहूं आता है लेकिन, वह खराब नहीं होता। वहां से गेहूं के बक्सर आने में तकरीबन तीन से पांच दिनों का समय लगता है। वहीं, जानकार बताते हैं कि, भंडारण के दौरान सल्फास की गोलियां गेहूं के बीच रखी होती हैं। ऐसे में गेहूं का इतने कम समय मे खराब होना संभव नहीं है। खराब गेहूं का किया जा रहा है उपचार : डिपो प्रबंधक ने बताया कि इस मामले से जहां पंजाब के खाद्य निगम के डिपो मैनेजर को सूचित कर दिया गया है। वहीं, निगम के वरीय अधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है। प्रभावित गेहूं को ठीक करने के लिए उसमें सल्फास की गोलियां तथा पाउडर डालकर उसका उपचार किया जा रहा है। जब गेहूं ठीक हो जाएगा तो ही उसे एसएससी को दिया जाएगा। इस बीच वरीय अधिकारी तथा क्वालिटी कंट्रोल के अधिकारी भी गेहूं की जांच करेंगे। हालांकि, जिस गेहूं में एक बार घुन लग चुका हो, उन्हें उपचार से ठीक होने की बात गले नहीं उतर रही है। खास बात यह है कि खाद्य निगम के डिपो में देश के किसी भी भाग से जब कोई भी खाद्यान्न आता है तो क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी उसकी जांच करते हैं। जिसके बाद ही उसे वैगन से उतारा जाता है। लेकिन, आश्चर्य की बात है कि यहां क्वालिटी टेस्ट में गेहूं को बेहतर बता दिया गया जिसके बाद उसे उतारा गया। पीडीएस दुकानदारों ने कहा, बांटना है मजबूरी जन वितरण दुकानदारों की ओर से फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ.मनोज यादव का कहना है कि खराब गेहूं आना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इतनी अधिक मात्रा में खराब गेहूं का आना लापरवाही उजागर करता है। अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं को मिलाकर उसमें खराब गेहूं को भी बांट दिया जाता है। उनका कहना है कि अक्सर डीलरों को खाद्यान्न में कुछ खराब खाद्यान्न मिल जाता है। लेकिन, अधिकारियों के भय के कारण डीलर कुछ भी नहीं बोल पाते।

खराब गेहूं का उपचार किया जा रहा है। राज्य खाद्य निगम को खराब अनाज देने का सवाल ही नहीं है। क्वालिटी टेस्ट करा कर ही गेहूं एसएफसी को दिया जाएगा। संजय कुमार, डिपो मैनेजर, एफसीआई, बक्सर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.