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तपर्ण : सामाजिक सारोकार पिताजी की पूंजी थी

मेरे बाबूजी स्व.चंद्रशेखर उर्फ ददन उपाध्याय जीवन पर्यंत जरूरतमंदों की सेवा करने के लिये तत्पर

By Edited By: Published: Mon, 05 Oct 2015 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2015 11:47 AM (IST)
तपर्ण :  सामाजिक सारोकार पिताजी की पूंजी थी

मेरे बाबूजी स्व.चंद्रशेखर उर्फ ददन उपाध्याय जीवन पर्यंत जरूरतमंदों की सेवा करने के लिये तत्पर रहते थे। पारिवारिक दायित्वों की महत्ता से भी जरूरी गरीबों की मदद करना समझते थे। अक्सर कहा करते थे कि किसी को मदद करने से आदमी को नुकसान नहीं होता। आश्चर्य यह है कि उनके विरोधी भी उनका लोहा मानते थे। अक्सर देखने व सुनने में आता था कि जब कोई जरूरतमंद उनके पास आ जाता था तो वे उसे निराश नहीं करते थे। चाहें अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर दूसरे से भी आवश्यकता आन पड़े। बिना समय गंवाए निकल पड़ते थे। डुमरांव शहर से लेकर कस्बाई इलाके में आज भी लोगों से उनकी चर्चा सुनकर लगता है कि वे हमारे आसपास ही खड़े हों और हमारा मार्गदर्शन कर रहे हों।

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डा. शशांक शेखर,

मेम्बर, जुबेनाइल जस्टीस बोर्ड, बक्सर।


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