रात्रि 8.12 बजे के बाद होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
मेल-मिलाप का प्रमुख त्योहार होली के तीन दिन बचे हैं। पहले दिन 20 मार्च को होलिका दहन एवं इसके अगले दिन गुरुवार को रंगों की होली खेली जाएगी। बुधवार को पूर्वाह्न 9 बजकर 19 मिनट के बाद पूर्णिमा तिथि आरंभ हो रही है।
बक्सर । मेल-मिलाप का प्रमुख त्योहार होली के तीन दिन बचे हैं। पहले दिन 20 मार्च को होलिका दहन एवं इसके अगले दिन गुरुवार को रंगों की होली खेली जाएगी। बुधवार को पूर्वाह्न 9 बजकर 19 मिनट के बाद पूर्णिमा तिथि आरंभ हो रही है। परंतु, होलिका दहन वैधानिक रूप से ज्योतिष गणना के बताए गए नियमों के अनुसार करने की रीति है। मान्यता है कि इसमें प्रदोषकाल का समय सर्वोत्तम होता है। जिसमें ढुंढा राक्षसी का पूजन कर लोग होलिका दहन करेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए'ओम होलिकायै नम:'मंत्रोच्चारण के साथ विधि सम्मत होलिका दहन बुधवार की रात में किया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस वर्ष बुधवार की रात्रि 8 बजकर 12 मिनट तक भद्रा है। इसमें होलिका दहन किए जाने का विधान नहीं है। सो इसके बाद प्रारंभ हो रहे शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाना उत्तम होगा। ज्योतिषाचार्यों का है कहना आचार्य पं. मुक्तेश्वरनाथ शास्त्री ने बताया कि धर्म शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि'रात्रौ भद्रा वसाने तू होलिका दीप्यते तदा'। यानी की होलिका दहन तीन शास्त्रीय नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए। जिसमें फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि हो तथा प्रदोष रात का समय हो एवं भद्रा बीत चुकी हो। इसके अनुसार बुधवार की रात 8.12 बजे के बाद होलिका दहन का मुहूर्त बनते दिख रहा है। अत: इस समय के पश्चात ही होलिका दहन किया जाएगा। साथ ही, इसके अगले दिन गुरुवार को क्षयवती अनुदया चैत्र कृष्णपक्ष की तिथि में रंग की होली सर्वत्र एक साथ एक ही दिन मनाई जाएगी। पर्व का आध्यात्मिक रहस्य
ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की संचालिका रानी बहन ने बताया कि होली का वास्तविक एवं आध्यात्मिक रहस्य पिछले वर्ष के कटु एवं तीखी स्मृतियों को जलाना है। साथ ही, नए वर्ष का हंसते-खेलते आह्वान करना है। हरा रंग का प्रयोग करने से बचें
सामान्य रोग चिकित्सक डॉ.मनोज कुमार मिश्रा का कहना है कि मौसम में अभी भी परिवर्तन का दौर जारी है। सुबह-शाम गुलाबी ठंड का असर बना हुआ है। इन परिस्थितियों में पानी के रंग का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। बेहतर होगा कि सभी सूखे रंगों का ही प्रयोग करें। उसमें भी हरे रंग का प्रयोग करने से बचना चाहिए। क्योंकि, यह रंग त्वचा के साथ होने वाली प्रतिक्रिया से इसके पिगमेटेशन को प्रभावित करता है।