बदलती सियासत में गुम हो गया दियारा विकास बोर्ड का मुद्दा
बक्सर विकास की धरातल पर पड़ताल करनी है तो जिले के दियारा क्षेत्र में घूम कर आइए। आजादी
बक्सर : विकास की धरातल पर पड़ताल करनी है तो जिले के दियारा क्षेत्र में घूम कर आइए। आजादी के इतने सालों बाद भी ऐसा लगेगा, जैसे हर सरकार के लिए दियारा में रहने वाले इन गंगा पुत्रों की समस्या कोई मायने नहीं रखती। न तो सड़क का हाल अच्छा, न शिक्षा की स्थिति संतोषजनक। जो पानी यहां के बाशिदे पीते हैं, उनमें भी आर्सेनिक के रूप में जहर मिला हुआ है। दियारा को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए दियारा विकास बोर्ड के गठन का प्रस्ताव 1980 में ही आया और विधानसभा में भी इस पर चर्चा हुई। बाद में सियासत के बदलते रंग में यह प्रस्ताव कहां गुम हो गया, यह पता भी नहीं चला।
गंगा और धर्मावती नदी की गोद में 100 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैले दियारा में पूरा चक्की प्रखंड, सिमरी प्रखंड का आधा हिस्सा और पूरा नैनीजोर क्षेत्र समाहित हैं। इन क्षेत्रों में निवास करने वाली तकरीबन तीन लाख की आबादी का जीवन प्रकृति के धूप-छांव में ही पलता रहा है। गंगा का कटाव, बाढ़ का प्रकोप, सूखे की मार, वन्यजीवों से फसलों की बर्बादी, सिचाई का अभाव, सड़क, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार आदि तमाम मुद्दे यहां के लोग आजादी के बाद से झेलते आ रहे हैं। तब कांग्रेस के दिग्गज नेता जगनारायण त्रिवेदी और ऋषिकेश तिवारी ने दियारा विकास बोर्ड के गठन का मामला जोर-शोर से उठाया। मामला बिहार सरकार के संज्ञान में लाया गया। तब बक्सर क्षेत्र भोजपुर जिला का ही हिस्सा था। बक्सर से लेकर सिमरी, ब्रह्मापुर, शाहपुर तथा बड़हरा प्रखंड के दियारा में कृषि के विकास तथा मूलभूत समस्याओं के लिए विकास बोर्ड के गठन का प्रारूप भी तैयार हो गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर बलिराज ठाकुर बताते हैं कि बाद में पूरा मामला फाइलों में ही दबकर रह गया।
बाद में भी उठता रहा मुद्दा
दियारा के विकास के लिए भले ही कभी कोई ठोस कदम न उठाए गएं हों, लेकिन जनता की संवेदनाओं को टटोल कर इस पर राजनीति की खेती होती रही। भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे पूर्व विधायक डॉ.स्वामीनाथ तिवारी बताते हैं कि उनका राजनीतिक सफर दियारा के इन्हीं मुद्दों को लेकर शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि दियारा के विकास लिए बोर्ड के गठन का प्रयास आगे भी चलता रहा। दुर्भाग्य से सिद्धांत और मुद्दों की राजनीति गुम होने के साथ यह मुद्दा भी गौण हो गया।
दियारा की प्रमुख समस्या
. आधे से अधिक गांवों तक जाने के लिए पक्की सड़क का अभाव
. हर साल बाढ़ से जानमाल की हानि
. पेयजल में आर्सेनिक का खतरनाक स्तर
. स्वास्थ्य सेवा की बदहाल स्थिति
. माध्यमिक एवं उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी
. नैनीजोर में गंगा नदी पर पक्का पुल का न होना
.कोईलवर तटबंध का पक्कीकरण न होना
.अगलगी से निपटने के अपर्याप्त संसाधन