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टूटती सांसों की आस हैं प्रतिमा दीदी

बक्सर। इटाढ़ी के बब्बू राम की जीने की आस खत्म हो चुकी थी। तपेदिक (टीबी) रोग की वजह से शर

By Edited By: Published: Sat, 02 Jan 2016 03:03 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2016 03:03 AM (IST)
टूटती सांसों की आस हैं प्रतिमा दीदी

बक्सर। इटाढ़ी के बब्बू राम की जीने की आस खत्म हो चुकी थी। तपेदिक (टीबी) रोग की वजह से शरीर खाट पकड़ चुका था। ऐसे समय प्रतिमा दीदी उसके लिए ¨जदा रहने की आस बनकर आयीं और आठ महीने उसे नियमित दवा खिला हमेशा के लिए टीबी रोग से मुक्ते कर दी। अब बब्बू खुद खेत मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहा है और उसकी बीमारी की वजह से उसके परिवार व पड़ोस में भी टीबी फैलने का खतरा खत्म हो गया।

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बब्बू अकेला उदाहरण नहीं हैं। प्रतिमा दीदी ऐसे अबतक 56 तपेदिक रोगियों को उनकी थमती ¨जदगी की जद्दोजहद से निकाल नार्मल ¨जदगी प्रदान कर चुकी हैं। बक्सर के बाइपास काली मंदिर के समीप रहने वाली प्रतिमा ¨सह को उनकी इसी सामुदायिक सेवा के लिए प्रशासन ने जिला बाल कल्याण समिति का सदस्य नियुक्त किया है।

डाक्टर भैया-भाभी से मिली प्रेरणा

मास्टर डिग्री व कानून में स्ना्तक प्रतिमा ¨सह को कम्यूनिटी सेवा में जाने की प्रेरणा डाक्टर भैया-भाभी से मिली। बड़े भाई व सरकारी अस्पताल में तैनात डा.संजय ¨सह व भाभी डा.मधु ¨सह के साथ रहने के क्रम में उन्होंने जाना कि गरीब व वंचित समाज के लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता का अभाव है। इसी वजह से लोग उन बीमारियों की भी इलाज नहीं करा पाते, जिसके इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है।

2010 में टीबी फोरम से जुड़ी

दूरदराज इलाकों में टीबी रोग के प्रति गलत भ्रांतियां हैं और जागरूकता के अभाव में लोग इसे लाइलाज रोग तक मानते हैं। इसी वजह से प्रतिमा ने इस रोग से लड़ने की ठानी और वर्ष-2010 में टीबी फोरम से जुड़ी। फोरम के माध्यम से उन्होंने गांवों में शिविर लगा इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक किया। और रोग के इलाज के लिए सरकार से मिलने वाली सुविधाएं मरीजों तक पहुंचायी। आज प्रतिमा को इस बात का बेहद संतोष है कि वे पचास से ज्यामदा मरीजों को टीबी कीटाणु से मुक्त कर चुकी हैं और सफर आगे भी जारी है।

छोटा सा प्रयास नई ¨जदगी देता

सरकार समाज को टीबी रोग से मुक्त कराने के लिए महाअभियान चला रही है और मरीजों के लिए दवा व खुराक की मुफ्त व्यवस्था है, लेकिन यह जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता। उनका छोटा सा प्रयास बीमारी से लड़ रहे परिवारों को यदि नई ¨जदगी देता है तो यह उनके लिए बड़ी उपलब्धि है।

प्रतिमा ¨सह, सदस्य, जिला बाल कल्याण समिति सह स्वास्थ्य कार्यकर्ता, बक्सर।


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