परिवहन कार्यालय में खास के लिए विशेष व्यवस्था, आम लोगों के लिए खिड़की बंद
बक्सर परिवहन विभाग एक तरफ जहां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत लोगों को जागरूक कर
बक्सर: परिवहन विभाग एक तरफ जहां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत लोगों को जागरूक करने हेतु कई तरह के अभियान चला रहा है। वहीं, जो जागरूकता सड़कों पर दिखाई जा रही है वह परिवहन कार्यालय में ही देखने को नहीं मिलती। यहां एक ड्राइविग लाइसेंस बनवाने व प्राप्त करने में डेढ़ से दो वर्ष लग जाते हैं।
यहां के हालात यह हैं कि कर्मी अगर काम करेंगे तो अपनी मर्जी से अन्यथा काम करेंगे ही नहीं। मजे की बात यह है कि यहां पहुंचने वाले लोगों को किसी अपने कार्यों को लेकर कहाँ, कब और किससे मिलना है यह भी स्पष्ट नहीं हो पाता। लोग जब डीएल, निबंधन अथवा अन्य कार्यों को लेकर यहां पहुंचते हैं तो बस आज, कल और परसों करते उन्हें इतना परेशान कर दिया जाता है कि वह हार-थक कर दलालों की शरण में चले जाते हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि कुछ ज्यादा भुगतान करने पर उनका काम तुंरत हो जाता है।
केस स्टडी 1 मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे कार्यालय के चक्कर काटते मिले सिविल लाइंस न्यू एरिया, हॉस्पिटल रोड के रहने वाले प्रफुल्ल राज बताते हैं कि नागार्जुना फर्टिलाइजर्स में नौकरी के लिए उन्हें ड्राइविग लाइसेंस की जरूरत थी। इसको लेकर उन्होंने जून 2018 में ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसके बाद उन्हें लर्निंग ड्राइविग लाइसेंस दिया गया था। उन्हें बताया गया कि इसकी वैद्यता 26 नवंबर तक है जिसके पूर्व उनका ड्राइविग टेस्ट होगा लेकिन, जब वह 20 या 21 नवंबर 2018 को कार्यालय पहुंचे तो बताया गया कि अब टेस्ट का कोई स्लॉट नहीं है ऐसे में उनका टेस्ट नहीं हो सका और अंतत: उन्हें फिर से डीएल के लिए अप्लाई करना पड़ा। केस स्टडी 2 सिविल लाइंस मोहल्ले के न्यू एरिया के रहने वाले सुजीत कुमार ने बताया कि उन्होंने भी ड्राइविग लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था जिसके बाद उन्हें 9 जनवरी को ही मैसेज आया। उनका ड्राइविग लाइसेंस बन गया है लेकिन, अब तक उन्हें हार्ड कॉपी प्राप्त नहीं हुई, जिसको लेकर वह कई दिनों से परिवहन कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन, कर्मी केवल आज - कल कर रहे हैं। केस स्टडी 3 लालगंज के रहने वाले विकास कुमार बताते हैं कि उन्होंने जून 2019 में लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था जिसके तकरीबन चार-पांच महीने के बाद उनका ड्राइविग टेस्ट भी लिया गया लेकिन फिर भी उनका ड्राइविग लाइसेंस बना अथवा नहीं इस बात की जानकारी उनको आज तक नहीं हो सकी है। जानकारी के लिए जब भी वह कार्यालय आते हैं बार-बार उन्हें टरका दिया जाता है। मंगलवार को अपना कार्यालय पहुंचे जहां पहुंचने पर उनसे उनके किए गए ऑनलाइन आवेदन की कॉपी मांगी गई। जब वह आवेदन की कॉपी लेकर पहुंचे तो उनसे आधार कार्ड की कॉपी भी मांगी गई। आधार कार्ड की कॉपी लाने तक घड़ी की सुइयां दिन के 1:36 बजा रही थी। ऐसे में काउंटर बंद हो गया। प्रवेश निषेध का बोर्ड लगा, फिर भी मिलती है आरटीपीएस काउंटर में इंट्री
आरटीपीएस काउंटर में बाहर प्रवेश निषेध का बोर्ड लगा हुआ है। माना जाता है कि अंदर केवल कार्यालय कर्मी ही जा सकते हैं। लेकिन, आरटीपीएस काउंटर में आराम से बाहरी लोगों का प्रवेश होता रहता है। बताया जाता है कि यह बाहरी लोग कर्मियों के खास होते हैं। जबकि, आम लोग जानकारी के आभाव में इधर से उधर भटकते रहते हैं। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए भी नहीं निर्धारित है राशि:
परिवहन विभाग द्वारा वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना लगभग अनिवार्य कर दिया है जिसके लिए परिवहन कार्यालय के समीप ही एक काउंटर बनाया गया लेकिन, यहां भी मनमाने ढंग से काम किया जाता है। यहां नंबर प्लेट लगाने के लिए मनमाना शुल्क लिया जाता है। यहां पहुंचने के बाद काफी ढूंढने पर भी नंबर प्लेट के लिए कोई शुल्क तालिका नहीं मिली। अंदर बैठे लोगों से पूछने पर एक चार पहिया वाहन में नंबर प्लेट लगाने के लिए एक व्यक्ति ने 350 रुपये तो दूसरे ने 450 रुपये का शुल्क बताया। वहीं, फिटिग चार्ज के रूप में 100 रुपये अतिरिक्त लेने की बात कही।
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ड्राइविग लाइसेंस घर पर भेजने का प्रावधान है। जो पता आवेदक के द्वारा दिया जाता है उस पर लाइसेंस भेज दिया जाता है। अगर पते में कोई गड़बड़ी है तो वह पोस्ट ऑफिस में पता किया जा सकता है। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अब एजेंसी से ही दिया जा रहा है इसीलिए, ऑफिस में बने नंबर प्लेट काउंटर पर कोई मूल्य तालिका नहीं लगाई गई है।
मनोज कुमार रजक, जिला परिवहन पदाधिकारी, बक्सर।