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चरम पर चुनावी गहमागहमी के बीच पीके के घर पर सन्नाटा

बक्सर राजनीति में फर्श से अर्श और अर्श से फर्श पर आते देर नहीं लगती। पिछले चुनाव के बाद

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 06:58 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:05 AM (IST)
चरम पर चुनावी गहमागहमी के बीच पीके के घर पर सन्नाटा
चरम पर चुनावी गहमागहमी के बीच पीके के घर पर सन्नाटा

बक्सर : राजनीति में फर्श से अर्श और अर्श से फर्श पर आते देर नहीं लगती। पिछले चुनाव के बाद अचानक राजनीति के अर्श पर विराजमान हुए प्रशांत किशोर इस बार चुनावी परिदृश्य से गायब हैं। बक्सर के अहिरौली स्थित उनके घर पर भी पूरी तरह सन्नाटा पसरा है। हालांकि, वे यहां कभी कभार ही आते हैं, लेकिन उनके शिखर काल मे घर मे सरकारी गार्ड दिखने लगे थे।

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जिले के प्रख्यात चिकित्सक रहे डॉ.श्रीकांत पांडे के पुत्र प्रशांत किशोर पांडेय ने जेडीयू से छुट्टी किये जाने के बाद कुछ दिन तक तो अपनी राजनीतिक पाठशाला चलाई लेकिन, बाद में कोरोना काल के दौरान वह पूरी तरह से फ्रेम से गायब हो गए हैं। डॉ.श्रीकांत पांडेय का भी पिछले साल निधन हो चुका है। वर्ष 2015 में महागठबंधन की जीत में वे अहम रणनीतिकार बनकर उभरे थे। बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है जैसे उनके दिए गए स्लोगन तब हिट हुए थे। चुनाव बाद इसका इनाम भी उन्हें मिला और नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में शामिल करते हुए सीधे जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। हालांकि, ब्रांड गुरु के तौर पर पहचान बना चुके पीके का राजनीति के शिखर पर पहुंचने से पहले ही अवसान शुरू हो गया। सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर हमला बोलते-बोलते मामला ऐसा उलझा कि अंतत: उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। उनके एक करीबी ने बताया कि इस विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर किसी पार्टी के ना तो संपर्क में हैं, ना मदद कर रहे हैं।


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