Move to Jagran APP

स्टेशन के सर्कुलेटिग एरिया में सजीं दुकान, यात्री परेशान

एक तरफ रेलवे विभाग जहां स्थानीय स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने की बात कहता है तो दूसरी तरफ स्टेशन परिसर सुबह से रात तक मीना बाजार सरीखा दिखता है। सर्कुलेटिग एरिया में दुकानें सजने से यात्रियों को भारी परेशनियों का सामना करना पड़ता है और कई बार भीड़ के कारण यात्रियों की ट्रेन तक छूट जाती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 05:40 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 05:40 PM (IST)
स्टेशन के सर्कुलेटिग एरिया में सजीं दुकान, यात्री परेशान
स्टेशन के सर्कुलेटिग एरिया में सजीं दुकान, यात्री परेशान

बक्सर । एक तरफ रेलवे विभाग जहां स्थानीय स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने की बात कहता है तो दूसरी तरफ स्टेशन परिसर सुबह से रात तक मीना बाजार सरीखा दिखता है। सर्कुलेटिग एरिया में दुकानें सजने से यात्रियों को भारी परेशनियों का सामना करना पड़ता है और कई बार भीड़ के कारण यात्रियों की ट्रेन तक छूट जाती है। कई बार यात्रियों के द्वारा शिकायत किए जाने के बावजूद अवैध दुकानों से वसूली इतनी ज्यादा है कि शीर्ष स्तर तक इसकी हिस्सेदारी जाती है और खुलेआम रेलवे की परिसंपत्तियों की लूट की अनदेखी की जाती है।

loksabha election banner

शाम होते ही स्टेशन परिसर पर ठेले-खोमचों वालों की दुकानें सजने यहां चांदनी बाजार का नजारा बन जाता है। यहां ठेला लगाने की इजाजत फ्री में नहीं मिलती, बल्कि उसके लिए ठेला-खोमचे वालों को भारी-भरकम कीमत चुकी होती है। सूत्र बतरते हैं कि प्रति ठेला दुकानदारों से दो सौ से तीन सौ रुपये तक वसूली की जाती है। इसके लिए विभाग से बाहर का एक आदमी संविदा पर तैनात है। हालांकि, इस आमदनी का रत्तीभर भी हिस्सा रेलवे के खाते में नहीं जाता है और सुरक्षा से लेकर प्रबंधन तक में लगा सिस्टम ऊपर ही ऊपर इसे गटक जाता है। जब कभी दानापुर से रेलवे के वरीय अधिकारी निरीक्षण को आते हैं तो उसके पहले ही सभी दुकानदारों को वहां से हटा दिया जाता है। रेलवे के एक वरीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि स्टेशन परिसर में दुकानें लगाने के लिए जीआरपी तथा आरपीएफ के अलावा दानापुर के कई रेल पदाधिकारी तक को मैनेज किया गया है। दुकानें सजने से जाम के चलते जूझते हैं यात्री दिन हो या रात, स्टेशन परिसर में दुकानें सजने से परिसर सहित आसपास जाम का नजारा बना रहता है। जाम के चलते कई यात्रियों की ट्रेनें भी छूट जाती है। लेकिन, रेल पुलिस जाम हटाने के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाती। जाम के नाम पर रेल पुलिस अपना एरिया नहीं होने का दावा कर पल्ला झाड़ लेता है। मजे की बात है कि जिस परिसर में ठेला लगाने की खुली छूट है, उसी परिसर में किसी यात्री की बाइक लग जाए तो उस पर शामत आ जाती है। बाइक को छोड़ने के लिए 500 रुपये की रसीद काटकर थमा दी जाती है। मजबूरी में यहां दुकान लगा अपनी जीविका चलाने वाले कई ठेला वालों ने बताया कि वे लोग मजबूरी में भारी-भरकम राशि नजराने के तौर पर देते हैं। उनका कहना है कि स्टेशन परिसर में उचित जगह देखकर रेलवे अगर वेंडर जोन बना उन लोगों को दे तो इससे रेलवे की आमदनी भी बढ़ेगी और उनके ऊपर से अवैध का तगमा भी हटेगा। सर्कुलेटिग एरिया में दुकान लगना गंभीर बात है, वे खुद इसकी जांच कराएंगे और दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।

सुजीत कुमार, रेल एसपी, पटना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.