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फेज-2 में शिक्षक-अभिभावकों की रजामंदी से खुलेंगे स्कूल

बक्सर कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लॉक डाउन में देश भर के शैक्षणिक संस्थानों को बंद क

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 05:25 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 06:19 AM (IST)
फेज-2 में शिक्षक-अभिभावकों की रजामंदी से खुलेंगे स्कूल
फेज-2 में शिक्षक-अभिभावकों की रजामंदी से खुलेंगे स्कूल

बक्सर : कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लॉक डाउन में देश भर के शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया है। हालांकि, अब पांचवें लॉकडाउन में देश को धीरे-धीरे ऑन लॉक किया जा रहा है। इसके तहत शैक्षणिक संस्थानों को भी खोलने की कवायद की जा रही है। हालांकि, इससे पूर्व सरकार ने विभाग की रजामंदी मांगी है। शिक्षा विभाग के अवर सचिव सह निदेशक माध्यमिक शिक्षा गिरिवर दयाल सिंह ने इस बाबत सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को आदेश दिया है।

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डीईओ को जारी पत्र में अपने-अपने क्षेत्राधीन अवस्थित शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावक, शिक्षक एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों से कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव के मद्देनजर शिक्षण संस्थान खोलने और पठन-पाठन की व्यवस्था पर उनका परामर्श लेने के लिए कहा गया है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा राजेन्द्र प्रसाद चौधरी ने बताया कि इसके अंतर्गत सभी का परामर्श प्राप्त कर विभाग को भेजा जाना है। जाहिर हो, शिक्षक या अभिभावक अभी स्कूलों को खोलने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर स्कूल खुले भी तो छोटे बच्चों की शैक्षणिक व्यवस्था को बंद ही रखा जाए। वहीं, जिला माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अनिल चतुर्वेदी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का संपूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करते हुए विद्यालय खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। आज पूरा देश संक्रमण के दौर से गुजर रहा है और इसकी भयावहता से लोग डरे हुए हैं। इस परिस्थिति में स्वास्थ्य मंत्रालय एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइडलाइन के आलोक में ही विद्यालयों को खोलने के लिए सरकार को निर्णय लेना चाहिए। इसके पहले निर्णय लेना खतरे से खेलने के बराबर होगा।

इन बिन्दुओं पर मांगा गया है परामर्श

निदेशक द्वारा जारी पत्र में विभिन्न बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए उन पर परामर्श मांगा गया है। मसलन, विद्यालयों को किस तिथि से खोला जाए, कक्षाओं में नामांकन कब से प्रारंभ किया जाए, विद्यालयों के संचालन की अवधि क्या हो, कक्षा का संचालन अधिकतम कितने बच्चों के साथ किया जाए, कक्षा की अवधि क्या हो, कक्षा में बैठने की व्यवस्था कैसी हो, जैसे सवालों पर परामर्श लेना है। यही नहीं, प्रार्थना सत्र का संचालन किया जाए अथवा नहीं, विद्यालय में प्रवेश एवं निकास की व्यवस्था कैसी हो, विद्यालय या कक्षा में सोशल डिस्टेंसिग को कैसे लागू किया जाए आदि बिन्दुओं पर परामर्श देना है।

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निदेशक से मिले आदेश के आलोक में छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावकों एवं शिक्षकों से परामर्श मांगा गया है। उनका जो परामर्श होगा उसे विभाग को भेज दिया जाएगा। तत्पश्चात, विभाग द्वारा इस पर निर्णय लिया जाएगा।

राजेन्द्र प्रसाद चौधरी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा, बक्सर।


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