लिट्टी-चाय पर कोरोना लॉक तो सब्जी से छायी रही चेहरे पर लाली
फोटो- 29बक्स7पी -राइजिग इंडिया- जीतेगा भारत हारेगा कोरोना धंधा बदल विश्वजीत चला रहे परि
बक्सर : शहर के प्राचीन गौरीशंकर मंदिर के पीछे विश्वजीत की लिट्टी-चाय की दुकान के मुरीदों की कमी न थी, दिनभर यहां भीड़ लगी रहती थी। छोटी सी दुकान के बाहर सड़क पर ही कोई कुल्हड़ में चाय की चुस्कियां भरते नजर आता, तो कोई हाथों में दोना लिए लिट्टी का स्वाद ले रहा होता। कोरोना ने दुकान की यह पहचान छीन ली, लेकिन विश्वजीत के जज्बे को नहीं हरा सका। चाय-लिट्टी की दुकान में उन्होंने सब्जी रख ली और इसे बेच अपन परिवार चलाने लगे।
देश में छाए कोरोना संकट ने जहां देश के लाखों लोगों का रोजगार लील लिया, वहीं कोरोना की काली छाया ने विश्वजीत जैसे चाय-लिट्टी के दुकानदार समेत पान दुकानदार और सैकड़ों फुटपाथी दुकानदारों को भी अपने आगोश में ले लिया। इस बीच अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिए सरकार के प्रयासों के बीच कुछ ने अपने जीविकोपार्जन के तरीके बदल नए सिरे से जिदगी की जंग लड़नी शुरू कर दी। दुकान बंद होने के कुछ दिन बाद विश्वजीत के सामने भी आर्थिक संकट गहराने लगी। परिवार के रोज के खर्च ने विश्वजीत को विकल्प की तलाश के लिए मजबूर कर दिया। ऐसे में उन्होंने ताजी हरी सब्जियों के बीच झलक रही हरियाली से खुद के जीवन में भी हरियाली भरने का प्रयास किया। कारोबार के शुरुआती दौर में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बिक्री कम होने से सब्जी खराब होने पर नुकसान भी उठाना पड़ा। बावजूद, विश्वजीत प्रतिदिन अपनी दुकान को ताजी हरी सब्जियों से सजाते रहे। कहते हैं कि हौसले बुलंद हो तो तकदीर को भी राह बदलनी पड़ जाती है। जैसे-जैसे लोगों को पता चला तो बिक्री बढ़ने लगी। महज डेढ़ माह में ही मेहनत रंग लाई, जिसके बाद खरीदार की भी कमी नहीं रह गई। विश्वजीत कहते हैं कि लिट्टी-चाय की दुकान से ही शहर में उनकी पहचान थी और शहर के दूसरे छोर तक के लोग उनके यहां लिट्टी का स्वाद लेने आते थे। अब हरी सब्जियों के कारोबार से भी काम लायक आमदनी हो जा रही है, और रूक चुके जीवन का पहिया एक बार फिर से चल पड़ा है।
पान दुकान पर लगी पाबंदी तो लगे कोल्ड ड्रिक और ठंडा पानी बेचने
शहर के हृदय स्थल के रूप में प्रसिद्ध नगर के मॉडल थाना चौक के ठीक कोने पर मौजूद चंदन की पान दुकान को न सिर्फ शहर बल्कि जिले के विभिन्न भागों से शहर आनेवाले पान के शौकीन बखूबी जानते हैं। लॉकडाउन में दुकान बंद होने के बाद कहीं से कोई आमदनी नहीं रह गई। पारिवारिक खर्च जुटाना जब कठिन हो गया तब पान के स्टॉल पर चंदन ने कोल्ड ड्रिक और ठंडे पानी की बोतल के साथ नमकीन भुजिया बेचनी शुरू कर दी। अब इसकी आमदनी से घर की गाड़ी एक बार फिर से चल पड़ी है।