सूचना के अधिकार को संजय ने बनाया हथियार
कुछ ही साल पहले बक्सर के पवनी पंचायत में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से तालाब बनाने की स्वीकृति मिली।
बक्सर : कुछ ही साल पहले बक्सर के पवनी पंचायत में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से तालाब बनाने की स्वीकृति मिली। तालाब की खुदाई नहीं हुई और बगैर काम हुए ही आवंटित राशि निकाल ली गयी। पंचायत के ही जोकहीं गांव के किसान संजय राय ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कई जगह गुहार लगायी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत विभाग से योजना की अद्यतन स्थिति की जानकारी मांगी। जानकारी देने के क्रम में उप विकास आयुक्त को धांधली का पता चला और कई लोगों पर कार्रवाई के साथ तालाब भी बन गया।
इस वाकये ने श्री राय को सूचना का अधिकार के ताकत का अहसास कराया और वे इसका इस्तेमाल कर जिले में भ्रष्टाचार को बेनकाब करने में जुट गये। श्री राय की पहचान अब आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में बन चुकी है। वे अबतक दो सौ से ज्यादा मामलों में आरटीआई का इस्तेमाल कर चुके हैं। तकरीबन एक साल पहले जिले की सड़कों पर अवैध रूप से बने ब्रेक ठोकरों के खिलाफ अभियान चलाया। आरटीआई के इस्तेमाल से ही उन्होंने जिले में सड़कों पर बने अवैध ब्रेक-ठोकरों को हटवाया। दरअसल, उन्होंने जिलाधिकारी से जानकारी मांगी थी कि किसकी अनुमति से सड़कों पर ब्रेक-ठोकर बने हैं। हाकिम को जवाब देते नहीं बना और उन्होंने आनन-फानन में ब्रेक-ठोकरों को हटाने के आदेश दे दिये।
दूसरों को भी करते हैं प्रेरित
किसान परिवार में पैदा हुए श्री राय खेती के कार्य से फुर्सत निकाल कर इस कार्य को बखूबी निभा रहे हैं। वे न केवल खुद सूचना के अधिकार का उपयोग करते हैं, बल्कि दूसरे को भी इसका इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके लिए उनके झोले में हमेशा आरटीआई फार्म व दस-दस रुपये के पोस्टल-आर्डर पड़े रहते हैं। संजय राय के दिखाए राह पर चलकर अब तक अनेक लोगों ने आम लोगों के इस हथियार की ताकत को बखूबी समझ लिया है और आज धड़ल्ले से सूचना के अधिकार का प्रयोग कर लोग किसी भी कार्यालय से सहज ही सारी सूचनाएं प्राप्त कर भ्रष्टाचार की जड़ खोदने में लगे हैं।
बयान :
समाज को न्याय दिलाने का सूचना का अधिकार सबसे कारगर हथियार है। हालांकि, इस अधिकार को कमजोर करने की अधिकारी हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन लंबी लड़ाई का जज्बा रखने में विश्वास रखते हैं और उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता।
संजय राय, आरटीआई कार्यकर्ता, जोकहीं, बक्सर।