दूसरे को जीवन देने वाला पवनी एपएचसी खुद पड़ा बीमार
बक्सर प्रखंड के एक ऐसा उपस्वास्थ्य केंद्र जो सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के सारे दावे
बक्सर : प्रखंड के एक ऐसा उपस्वास्थ्य केंद्र जो सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के सारे दावे को खोखला साबित करती है। यह उपस्वास्थ्य केंद्र जो कभी दूसरों को जीवन देता था। आज खुद गंभीर बीमारी के चपेट में आ गया है। इस अस्पताल में न तो चिकित्सक हैं और न ही भवन इस स्थिति में है, जहां मरीजों का इलाज किया जा सके। यह हाल है प्रखंड के पवनी पंचायत के पंचायत भवन में बना सरकारी उप स्वास्थ्य केंद्र का।
वर्षो पहले बेहतर सेवा के साथ यक्ष्मा रोग की जांच के लिए प्रखंड के एकलौता अस्पताल था। आज की स्थिति यह है कि यहां न कोई चिकित्सक है न कोई रोगी। बताया जाता है कि इस अस्पताल में कार्यरत एक एएनएम हैं, जो टीकाकरण के दिन आती हैं। अस्पताल के बाहर टीकाकरण कर चली जाती हैं। वर्षो पहले पवनी पंचायत के कई गांव के लोग प्राथमिक उपचार के लिए इस उपस्वास्थ्य केंद्र पर आते थे। हालांकि, उस दौरान अस्पताल में दवा भी रहती थी। जब चौसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना यह अस्पताल मृत हो गया। चिकित्सीय व्यवस्था के साथ अस्पताल का भवन भी इस हालात में हो गए। जिसके अंदर कोई जा नही सकता। पूरा भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है।
कभी यक्ष्मा रोग की जांच का जिले में इकलौता केंद्र था
यहां के ग्रामीण रामानुज सिंह, डब्लू शर्मा, रूपा सिंह व ओमप्रकाश सिंह आदि बताते है कि 10-12 वर्षों पूर्व इस अस्पताल में रौनक थी। कभी यक्ष्मा रोग के जांच के प्रखंड के एकलौता अस्पताल होता था। जहां हमेशा रोगियों की भीड़ रहती थी। यहां चिकित्सक भी रहते थे और इलाज भी होता था। बाद में यक्ष्मा जांच केंद्र चौसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चला गया। उसके बाद यह उपस्वास्थ्य केंद्र वीरान होता चला गया।
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चौसा पीएचसी में ही चिकित्सकों की कमी है, ऐसे में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर कैसे रह सकते है, हालांकि, उपस्वास्थ्य केंद्र पर एएनएम हमेशा जाती हैं।
डॉ.अरुण कुमार श्रीवास्तव, चिकित्सा प्रभारी, चौसा पीएचसी