भागवत के श्रवण से मिलती है मुक्ति : गोपाल शास्त्री
जो पूरी सृष्टि की भलाई के बारे में सोंचे वहीं कृष्ण है। और श्रीकृष्ण कण-कण में विद्यमान हैं। श्रीकृष्ण की वाणी ही भागवत है। जिसके श्रवण मात्र से इंसान का चित्त शांत होता है। क्योंकि, मंगलाचरण सुनने से मंगल ही मंगल होता है।
बक्सर । जो पूरी सृष्टि की भलाई के बारे में सोंचे वहीं कृष्ण है। और श्रीकृष्ण कण-कण में विद्यमान हैं। श्रीकृष्ण की वाणी ही भागवत है। जिसके श्रवण मात्र से इंसान का चित्त शांत होता है। क्योंकि, मंगलाचरण सुनने से मंगल ही मंगल होता है। भागवत कथा देखने की नहीं बल्कि सच्चे मन से एकाग्र होकर सुनने की चीज है। इसका सुनना ही इंसान की सोंच को बदल देता है। उपरोक्त बातें शुक्रवार को श्री सीताराम विवाह आश्रम में पूज्य श्री मामाजी के 11वीं पुण्य तिथि पर आयोजित 11 दिवसीय समारोह के दौरान कथावाचक वैष्णवाचार्य श्री गिरिधर गोपाल शास्त्री जी महाराज ने श्रोताओं को बताया।
कथा के दौरान उन्होंने श्रोताओं को बताया कि किसी व्यक्ति की सोंच जबतक सुंदर नहीं होती तब तक उसे भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती। नाकारात्मक सोंच वाले व्यक्ति कभी भी भगवान को नहीं पा सकते हैं। कलियुग में सभी के सोंचने की दिशा नाकारात्मक हो गई है। यही कारण है कि आज इंसान घोर कष्टों को झेलते हुए गुजर रहा है। ऐसे में सिर्फ भागवत ही है जो हमारी सोंच को बदलने की क्षमता रखता है। सोंच के सही होते ही व्यक्ति के कर्म भी अच्छे होने लगते हैं। जिससे जल्द ही उसे भगवत की प्राप्ति हो जाती है। जिसके बाद इंसान को मुक्ति मिल जाती है। हालांकि शुक्रवार को सुबह से ही रूक-रूक कर पड़ रही फुहारों की वजह से कथा के दौरान श्रोताओं की संख्या में कमी रही। बावजूद इसके जो लोग कथा में पहुंच चुके थे वो वर्षा के बावजूद अंत तक कथा श्रवण को जमे रहे। इस दौरान सुबह से शाम तक एक के बाद एक कर काय्रक्रमों का आयोजन होता रहा। जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।