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माता अहिल्या उद्धार की धरती अहिरौली से शुरू हुई पंचकोस यात्रा

बक्सर त्रेता युग में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जी की सिद्धाश्रम में यात्रा की स्मृति में पांच दिवसीय पं

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 08:33 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 08:33 PM (IST)
माता अहिल्या उद्धार की धरती अहिरौली से शुरू हुई पंचकोस यात्रा

बक्सर : त्रेता युग में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जी की सिद्धाश्रम में यात्रा की स्मृति में पांच दिवसीय पंचकोस यात्रा का शुभारंभ बुधवार को अहिरौली से हुआ। इससे पूर्व संतों के जत्थे ने तड़के रामरेखा घाट पर गंगा स्नान किया और यात्रा के प्रथम पड़ाव की ओर रवाना हुए। अहिरौली में संतों और श्रद्धालुओं ने माता अहिल्या मंदिर और गौतम ऋषि के आश्रम में पूजा-अर्चना की और पुआ का प्रसाद ग्रहण कर वहीं भजन-कीर्तन करते हुए रात गुजारी। कहा जाता है कि गौतम ऋृषि के श्राप से पत्थर बनी माता अहिल्या का इसी यात्रा के दौरान भगवान श्रीराम ने उद्धार किया था। संतों का काफिला आज गुरुवार को पंचकोश यात्रा के दूसरे दिन नदांव के लिए प्रस्थान करेगा, जहां नारद कुंड की परिक्रमा कर वहां वे लोग रात गुजारेंगे।

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कार्यक्रम का संचालन पंचकोसी यात्रा समिति के सुदर्शनाचार्य भोला बाबा ने किया। अहिरौली पहुंचने के बाद साधु-संतों ने मंदिर में माता अहिल्या की पूजा-अर्चना कर दीप जलाने की परंपरा का पालन किया। फिर, पौराणिक परंपरा के अनुसार पुआ-पूड़ी के प्रसाद का भोग लगाकर उसे खुद ग्रहण किया। इस अवसर पर वहां दूर-दराज से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। अहिरौली गांव पूरी तरह से मेला के रूप में परिणत था। मंदिर के आसपास सैकड़ों अस्थायी दुकानें लगी थी, जहां श्रद्धालु विभिन्न सामानों की खरीदारी कर रहे थे। दूसरी ओर, बच्चों के मनोरंजन के भी भरपूर इंतजाम थे। व्यवस्थापकों की मानें तो लाखों लोगों ने पंचकोसी परिक्रमा के पहले दिन अहिरौली में पूजा-अर्चना कर परंपरा का पालन किया है। इस दौरान साधु-संतों द्वारा पंचकोसी के पौराणिक महत्व और परिक्रमा करने से होने वाले आध्यात्मिक लाभ का विस्तृत वर्णन किया गया। सुदर्शनाचार्य भोला बाबा, कुलशेखराचार्य जी महाराज, अहिरौली मठ के मकसुदनाचार्य जी महाराज, कृष्णानंद शास्त्री, छविनाथ त्रिपाठी आदि ने बारी-बारी से अपने प्रवचन में कहा कि पंचकोसी परिक्रमा विधि-विधान के साथ करने पर अहिरौली में बुद्धि, नदांव में मन, भभुवर में चित्त की शुद्धि तथा नुआंव में अहंकार का नाश हो जाता है। जिसके बाद चरित्रवन में प्रेम रूपी परमात्मा से मिलन होता है। इस दौरान मेला में जगह-जगह पुलिस के जवान मुस्तैद थे। इसके अलावा औद्योगिक थानाध्यक्ष समेत अनेक पुलिस पदाधिकारी घूम-घूमकर खुद मेले का जायजा ले रहे थे। इस संबंध में पंचकोसी परिक्रमा समिति के कोषाध्यक्ष रोहतास गोयल, सदस्य सुरेश राय ने बताया कि समिति द्वारा मेले में किसी भी श्रद्धालु को कोई तकलीफ न हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया है। समिति की ओर से पानी के टैंकर की व्यवस्था भी कराई गई है। साथ ही मेले में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन की ओर से हर पड़ाव पर पर्याप्त पुलिस बल के साथ दंडाधिकारी तैनात किए गए हैं।


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