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पानी से बर्बाद हुई धान की फसल, किसानों के माथे पर बल

बक्सर। प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र में बाढ़ के पानी से लगभग 500 बीघे से अधिक रकबा में धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। पिछले दिनों धर्मावती नदी में आई बाढ़ के कारण इसका पानी क्षेत्र के खीरी छीतनडीहरा खरीका गैधरा नागपुर तिवाय धर्मपुरा सहित अन्य गांवों में इसका पानी ऊंचे टीले तक पहुंच गया था। खेतों में लगभग 10 दिनों तक पानी भरा रहा। पानी भरने से खेतों में लहलहाती धान की फसल कीचड़ से दब गई थी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 06:29 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 06:29 PM (IST)
पानी से बर्बाद हुई धान की फसल, किसानों के माथे पर बल
पानी से बर्बाद हुई धान की फसल, किसानों के माथे पर बल

बक्सर। प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र में बाढ़ के पानी से लगभग 500 बीघे से अधिक रकबा में धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। पिछले दिनों धर्मावती नदी में आई बाढ़ के कारण इसका पानी क्षेत्र के खीरी, छीतनडीहरा, खरीका, गैधरा, नागपुर, तिवाय, धर्मपुरा सहित अन्य गांवों में इसका पानी ऊंचे टीले तक पहुंच गया था। खेतों में लगभग 10 दिनों तक पानी भरा रहा। पानी भरने से खेतों में लहलहाती धान की फसल कीचड़ से दब गई थी।

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पानी खत्म होने के बाद कीचड़ ज्यों का त्यों पौधों पर जमा रहा। जिसके चलते धान के पौधे पीले होकर गिरने लगे हैं। इस समस्या से निदान का उपाय कृषि सलाहकारों द्वारा भी नहीं बताया जा रहा है। नागपुर के किसान दुर्गा सिंह, नरेन्द्र राय, सुभाष राय, नन्दकिशोर राय, संजय सिंह, बबलू सिंह, छीतनडिहरा के शैलेन्द्र सिंह, बबन सिंह, खरीका के धर्मेन्द्र सिंह, खीरी के प्रफुल्ल सिंह ने बताया कि इस बार तेज धूप में डीजल पंपसेट चलाकर रोपनी के बाद सोहनी एवं खाद देकर इसमें प्रति बीघा 3000 रुपये तक खर्च किया गया है। लेकिन, तमाम फसलें बर्बाद हो गई हैं। सबसे अधिक क्षति उन किसानों को हुई है, जो बटाई पर प्रति बीघा 10-12 हजार में खेत लेकर खेती किए हैं। इन किसानों की कमर ही टूट गई है। इसको लेकर पश्चिमी जिला पार्षद प्रतिनिधि सत्येन्द्र चौबे, नागपुर मुखिया अमित राय एवं खीरी मुखिया रमेश ठाकुर ने बताया कि किसानों के मुआवजे के लिए जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह एवं एसडीओ कृष्णकांत उपाध्याय से गुहार लगाई गई है। जिनके द्वारा आश्वासन दिया गया था कि बाढ़ के बाद इसका सर्वे कराया जाएगा लेकिन, अभी तक कोई विभागीय कर्मी द्वारा इसका सर्वेक्षण नहीं किया जा रहा है।


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