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लागल संतन के मेला, देखे के मनवा हमरो करेला.

बक्सर लागल संतन के मेला देखे के मनवा हमरो करेला.। श्रीमिथिला रस के रसिक साकेतवासी पर

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 08:07 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 08:07 PM (IST)
लागल संतन के मेला, देखे के मनवा हमरो करेला.
लागल संतन के मेला, देखे के मनवा हमरो करेला.

बक्सर : लागल संतन के मेला, देखे के मनवा हमरो करेला.'। श्रीमिथिला रस के रसिक साकेतवासी परम पूज्य श्रीमन्नारायण दास जी भक्तमाली उपाख्य नेहनिधि मामा जी की यह पंक्तियां एक बार फिर से साकार हो रही है। सिय-पिय मिलन महोत्सव कार्यक्रम का यह 52वां साल है, जब इससे पहले नेहनिधि पूज्य मामा जी ने नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम की बगिया को अपने हाथों संजोया था। नौ दिवसीय इस महोत्सव में देश के कोने-कोने से संत समाज का समागम शुरू हो गया है। संतों के चरण पादुका पड़ने से एक बार फिर से आश्रम के उपवन में हरियाली लौट आई है।

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शहर के नया बाजार स्थित आध्यात्मिक महोत्सव में प्रात: अष्टायम हरिनाम संकीर्तन एवं श्रीराम चरित मानस पाठ से प्रारंभ होकर एक तरफ दोपहर में श्रीअवध धाम से पधारे पूज्य मज्जगदगुरू रामानुजाचार्य स्वामी (डा.) श्रीराघवाचार्य महाराज अपने मुक्त कंठ से वाल्मिकी रामायण कथित अमृत बोल की सुधा बरसा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर संध्या पहर समारोह में देश के कोने-कोने से पधारे संत विद्वजन के सपरिकर जीवन की असल मुक्ति रस बांट रहे हैं। जबकी, सुबह में वृंदावन की विश्व विख्यात मंडली स्वामी श्री फतेहकृष्ण शर्मा एवं उनके सहयोगी रमेश चंद्र शर्मा के निर्देशन में श्रीकृष्णलीला तथा रात में आश्रम के परिकरों द्वारा रामलीला का भी जीवंत मंचन किया जा रहा है। बतौर आयोजक महंत श्रीराजाराम शरण महाराज कार्यक्रम में श्रीगुरुदेव खाकी बाबा सरकार का सियपिय मिलन महोत्सव तिथि के उपलक्ष्य में कल सोमवार को दिन में फुलवारी तथा रात में धनुष यज्ञ की लीला का दर्शन भक्तजन कर सकेंगे। वहीं, बुधवार (8 तारीख) को श्रीराम विवाह के बाद 9 तारीख को रामकलेवा के साथ महोत्सव को विश्राम दे दिया जाएगा। कार्यक्रम प्रात:काल हरिनाम संकीर्तन से प्रारंभ होकर विभिन्न आयोजनों के साथ रात 11 बजे तक रामलीला के साथ प्रतिदिन विश्राम ले रहा है।

भगवत कृपा ही मुक्ति का मार्ग : महंत राजाराम

उत्सवधर्मिता आश्रम के महंत राजाराम शरण ने कहा कि व्यक्ति को संस्कारी होना चाहिए। क्योंकि, संस्कारी व्यक्ति अच्छे कर्म करता है और अच्छे कर्म से भाग्य भी अच्छा हो जाता है। जब आप यह समझने लगते हैं कि आपके द्वारा किये गए सभी कार्य परमात्मा के लिए हैं तो हर कार्य एक सुखदायी अनुभव बन जाता है। उन्होंने कथा श्रवण के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि कलियुग में भगवत कृपा प्राप्त करना ही मुक्ति का मार्ग है। मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई..

शनिवार की सुबह श्रीकृष्णलीला में मीरा चरित्र अभिनयकृत्य मंचन के दौरान दिखाया गया कि कृष्ण भक्ति में डूबी मीरा कैसे जीवन की विभिन्न परिस्थितियों से गुजरती हुई अंतत: श्रीकृष्ण में ही समाहित हो जाती हैं। इस क्रम में एक गोपी का जन्म राजस्थान के मेड़ता में मीरा के रूप में होता है। वह बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में रुचि रखती है। उनके भाई जयमल सही समय आने पर उनका विवाह मेवाड़ के राजा राणासांगा के पुत्र भोजराज के साथ कर देते हैं। विवाह के पश्चात भी मीरा गिरधर गोपाल की भक्ति में तल्लीन रहती है। जिसे देखते हुए राजा भोजराज उनके लिए एक दूसरा महल बनवा देते हैं। इसके बावजूद भी मीरा मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई, जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई. की भजन कीर्तन में तल्लीन रहती हैं। मंडली कलाकारों के इस उत्कृष्ट अभिनय को देखकर श्रद्धालु मुग्ध हो जाते है।

सीता जन्म की लीला देख श्रद्धालु हुए अविभूत

व्यास गद्दी से आचार्य रात रामलीला में सीता जन्म के मंचन से पूर्व बताते हैं कि महा रामायण में सीता जी को ही समस्त शक्तियों का स्नोत घोषित किया गया है। रामायण के बालकांड में राजा जनक की पुत्री किशोरी जी (सीता जी) को उद्धवकारिणी, अयोध्याकाण्ड से अरण्यकांड तक स्थितिकारिणी, लंकाकांड में संहारकारिणी, किष्किधाकांड एवं सुंदरकांड में क्लेशहारिणी और उत्तरकांड में सर्वश्रेयष्करी रूप का दर्शन होता है। इसके साथ ही साकेतवासी परम पूज्य श्री नारायण दास भक्तमाली उपाख्य नेहनिधि मामा जी की हृदय उद्गार के रूप में उद्भाषित उनकी रचनावली माता सीता के गुण कीर्तन से झांकी वंदन के साथ सीता जन्म का जीवंत मंचन होता है। जिसे देखकर मौजूद श्रद्धालु अविभूत हो जाते हैं।


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