श्री हरी विष्णु ने अधर्मियों के नाश को लिया कृष्ण अवतार
रामलीला समिति के तत्वाधान में नगर की 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव मंगलवार से किला मैदान में प्रारंभ हो गया है। कार्यक्रम के उद्घाटन गणेश पूजन के पश्चात रात्रि में पहले दिन सती मोह लीला का मंचन वृंदावन की प्रसिद्ध मंडली श्यामाश्याम के कलाकारों द्वारा किया गया। बुधवार को रामलीला मंच पर पूर्वाह्न में कृष्णलीला और रात्रि में नारद मोह देखकर श्रद्धालु मुग्ध हो गए।
बक्सर । रामलीला समिति के तत्वाधान में नगर की 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव मंगलवार से किला मैदान में प्रारंभ हो गया है। कार्यक्रम के उद्घाटन गणेश पूजन के पश्चात रात्रि में पहले दिन सती मोह लीला का मंचन वृंदावन की प्रसिद्ध मंडली श्यामाश्याम के कलाकारों द्वारा किया गया। बुधवार को रामलीला मंच पर पूर्वाह्न में कृष्णलीला और रात्रि में नारद मोह देखकर श्रद्धालु मुग्ध हो गए।
इस दौरान पूर्वाह्न में आयोजित कृष्णलीला प्रसंग में दिखाया जाता है कि श्री हरी विष्णु द्वापर युग में अधर्मियों का नाश करने के लिए देवकी के गर्भ से कृष्ण अवतार के रूप में प्रकट होते हैं। जिसमें कलाकारों द्वारा दिखाया जाता है कि मथुरा के राजा कंस अपनी बहन देवकी का विवाह वसुदेव से करते हैं। बहन को विदा करते समय मार्ग में आकाशवाणी होती है कि जिस देवकी को विदा करने जा रहे हो उसका आठवां पुत्र तेरा काल होगा। यह सुनकर कंस बहन को मारने को उद्धत होता है, परंतु उग्रसेन के विरोध के बाद वसुदेव-देवकी को कारागार में डालकर स्वयं मथुरा का राजा बन बैठता है। वहीं, कंस वसुदेव जी से शपथ कराता है कि देवकी के गर्भ से उत्पन्न सारे पुत्र उसे सौंपने होंगे। इस क्रम में प्रथम पुत्र के जन्म होने पर उसे कंस के समक्ष लाया जाता है और वह अपने हाथों से उसे मृत्युदंड देता है। इसी तरह बाकि 7 पुत्रों का भ्रांस, जेल के अंदर जल्लादों द्वारा हत्या कर करा दिया जाता है। इस मार्मिक प्रसंग को देखकर दर्शकों की भी आंखें गम से नम पड़ जाती हैं। तभी आगे दिखाया जाता है कि सातवां पुत्र गर्भ में नष्अ हो जाता है और 8वें पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है। जिसे वसुदेव रात्रि में ही यमुना पार कर उसे गोकुल में नंद-यशोदा के यहां पहुंचा देते हैं। जिसे देखकर दर्शकों के चेहरे पर भी प्रसन्नता की झलक दिखाई देती है। दूसरी ओर रात्रि में अभिनयकृत नारद मोह प्रसंग का चित्रण प्रस्तुत करते दिखाया जाता है कि नारद जी हिमालय की कंदराओं में समाधिरत हैं। यह देख देवराज ¨चतित होते हैं और उनका ध्यान भंग करने हेतु कामदेव को उसके समक्ष भेजते हैं। परंतु, कामदेव इसमें सफल नहीं हो पाते हैं और नारद जी के चरणों में शरणागत हो याचना करते हैं। आगे दिखाया जाता है कि नारद को अभिमान हो जाता है और इसे देख प्रभु माया रूपी नगर की रचना करते हैं। जहां विश्वमोहिनी नामक सुंदर बाला को देखकर नारद मोहित हो जाते हैं और विवाह करने के लिए श्री हरी से सुंदर रूप मांगते हैं। जहां नारयण उन्हें बंदर का रूप प्रदान करते हैं, जिसे देख सभी नारद का उपहास करते हैं। तभी नारद जी क्रोध में आकर नारायण को पृथ्वी पर आने का श्राप देते हैं। लाला का यह प्रसंग देखकर दर्शक भी रोमांचित हो उठते हैं। इन्सर्ट : आज का कार्यक्रम रामलीला समिति के मीडिया प्रभारी हरिशंकर गुप्ता ने बताया कि गुरुवार को रामलीला मंच पर पूर्वाह्न 10 बजे से आयोजित कृष्णलीला में नंद महोत्सव तथा शाम 7 बजे से रामलीला प्रसंग में श्री मनुसतरुपा एवं रावण तपस्या प्रसंग का मंचन किया जाएगा।