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रामलीला में ताड़का वध, रासलीला में कालिया नाग मर्दन

प्रखंड क्षेत्र के सिमरी दुधीपट्टी गांव स्थित मां कालरात्रि के प्रांगण में आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में सोमवार को भगवान राम व ताड़का युद्ध की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 06:14 PM (IST)
रामलीला में ताड़का वध, रासलीला में कालिया नाग मर्दन
रामलीला में ताड़का वध, रासलीला में कालिया नाग मर्दन

बक्सर । प्रखंड क्षेत्र के सिमरी दुधीपट्टी गांव स्थित मां कालरात्रि के प्रांगण में आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में सोमवार को भगवान राम व ताड़का युद्ध की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया। नामकरण के बाद जब महाराजा दशरथ के चारों राजकुमार किशोर अवस्था में आते हैं, तो गुरु वशिष्ठ सभी को धर्नुविद्या, शिक्षा और दीक्षा देते हैं। विश्वामित्र जब तपस्या में लीन होते हैं तो मारीच, सुबाहू आदि राक्षस उनकी तपस्या भंग करते हैं और उनके साथ अन्य ऋषि-मुनियों को भी परेशान करते हैं। इसके बाद राजा दशरथ के दरबार में महर्षि विश्वामित्र पहुंचते हैं और यज्ञ की रक्षा के लिए राम-लक्ष्मण को अपने साथ ले जाने का आग्रह करते हैं। यह सुनकर राजा दशरथ हतप्रभ हो जाते हैं। वह कहते हैं कि मुनिवर आप मुझे राक्षसों का संहार करने के लिए ले चलिए। इस बात से मुनि सहमत नहीं हुए और वह भगवान राम-लक्ष्मण को ले जाते हैं। रास्ते में ताड़का नाम राक्षसी मिलती है। भगवान राम का ताड़का से युद्ध होता है, जिसमें राक्षसी ताड़का मारी जाती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके बाद प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण अन्य राक्षसों का संहार कर मुनि के यज्ञ को सफल कर आते हैं।

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रासलीला में हुआ कालिया नाग का मर्दन रासलीला में सोमवार को कालिया नाग के मर्दन की लीला का मंचन हुआ। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने नाग को हराकर उसके घमंड को तोड़ा। यह बात जब कंस को पता चचला तो कंस ने बृज के सभी बालकों को मारने के अनेक प्रयास किए। लेकिन, सफल नहीं हो सका। कंस की ओर से कान्हा को मारने के लिए योजना के तहत नंद बाबा से यमुना में से कमल का फूल लाने की मांग की गई। इतना ही नहीं, यह चेतावनी भी दी गई कि यदि कमल का फूल समय से नहीं मिला तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। यमुना में जिस स्थान पर कमल के फूल पाए जाते हैं। वहां एक विषधारी कालिया नाग निवास करता था। जब इस बात का पता कान्हा को लगा तो श्रीकृष्ण ने एक योजना बनाई। जिसके अनुसार खेल-खेल में गेंद को यमुना में फेंक दिया जाता है। वहीं, ग्वालें इसी गेंद की मांग करते है। तब भगवान श्रीकृष्ण यमुना में कूद जाते हैं। कान्हा के यमुना में कूद जाने का समाचार जब नंद बाबा और माता यशोदा को लगता है। तो वे काफी दुखी और ¨चतित हो जाते हैं। गेंद के लिए यमुना में कूदे कान्हा की भेंट कालिया नाग से हो जाती है और दोनों में युद्ध हो जाता है। अंत में कान्हा ने कालिया नाग का मान मर्दन कर उसका उद्धार कर दिया जाता है। श्रीकृष्ण के आदेश पर कालिया नाग यमुना नदी को छोड़कर दूसरे स्थान पर चला जाता है और भेंटस्वरूप कमल का एक फूल कान्हा को दे जाता है। कमल के फूल को नंद बाबा राजा कंस के पास पहुंचा देते हैं। इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग के मर्दन सहित राजा कंस का भी अभिमान तोड़ दिया। रासलीला के इस मंचन को देखकर दर्शक भाव-विभोर हो गए। बताते चलें कि, रामलीला और रासलीला के हर ²श्य की प्रस्तुति पर जय श्रीराम और जयश्री कृष्ण के उद्घोष से पूरा इलाका गूंज उठा।


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