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चौसा के ऐतिहासिक विरासत को संवारने की पहल शुरू

बक्सर 26 जून 1539 को चौसा में लड़ा गया युद्ध इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। जहां अफगानी शाशक शेरशाह सूरी ने मु़गल शाशक हुमायूं को पराजित कर घुटने टेकने को मजबूर किया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 10:46 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 10:46 PM (IST)
चौसा के ऐतिहासिक विरासत को संवारने की पहल शुरू
चौसा के ऐतिहासिक विरासत को संवारने की पहल शुरू

बक्सर : 26 जून 1539 को चौसा में लड़ा गया युद्ध इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। जहां अफगानी शाशक शेरशाह सूरी ने मु़गल शाशक हुमायूं को पराजित कर घुटने टेकने को मजबूर किया था। उस युद्ध की गौरवशाली निशानी आज वर्षों से उपेक्षित है। लेकिन अब यह विरासत का बहुत जल्द काया कल्प होने वाला है। जिला प्रशासन ने इस विरासत को संवारने की पहल शुरू कर दी है।

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जिला पदाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर मनरेगा योजना से सौंदर्यीकरण कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शनिवार को मनरेगा प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी उमेशचन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में विभागीय इंजीनियरों का दल स्थल का मुआयना किया। इस दौरान प्राक्कलन के लिए भी मापी की गई। उन्होंने बताया की बहुत जल्द इसके सौंदर्यीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सौंदर्यीकरण में सबसे पहले मिट्टी से पुरातत्व विभाग द्वारा खोदे गए गढ्ढों में मिट्टी भराई, चहारदीवारी का निर्माण, पौधारोपण के साथ फेवर ब्लॉक से पक्कीकरण, पार्क का निर्माण, चबूतरा, प्याऊ के लिए हैंडपम्प, पर्यटकों के लिए जगह-जगह बैठने हेतु पक्की कुर्सी के अलावा युद्धस्थली के लगे प्रतिकचिन्ह स्तूप का नवीकरण व अन्य सौंदर्यीकरण का कार्य किए जाने की योजना है। जिसका लागत अनुमानत लगभग 70, 80 लाख होंगे। प्राक्कलन बनने के बाद बहुत जल्द निर्माण कार्य भी प्रारंभ कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इंजीनियरों के दल में मनरेगा कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता, मुखिया प्रतिनिधि रामभजन राम शामिल थे। पशु बांधने, गोइठा पसारने या विरासत स्थल का अतिक्रमण करने वालों पर होगी कानूनी कार्रवाई इसी ऐतिहासिक विरासत से चौसा की पहचान बनी थी। जहां भारत के मानचित्र में चौसा का नाम अंकित है। लेकिन प्रशासनिक देख-रेख के अभाव में विरासत की पहचान धीरे- धीरे मिटती जा रही थी। प्रशासनिक देख-रेख न होने से स्थानीय लोग इस गौरवशाली निशानी पर पशु बांधने व गोइठा सूखाने के स्थल बना लिए थे। यही नहीं, इस स्थल पर वाहन स्टैंड बना दिया गया। लेकिन जिला पदाधिकारी द्वारा इस विरासत की सुध ली गई। उन्होंने तीन दिन पूर्व यहां के अंचलाधिकारी नवलकान्त को निर्देश दिया था। जिसके उपरांत निरीक्षण कर सभी स्थानीय लोगों को हिदायत दी। उन्होंने कहा कि अब इस स्थल पर न कोई पशु बांधेगा, न ही अन्य निजी कार्यों में इस स्थल का प्रयोग करेगा। ऐसा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की गाज गिरेगी।


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