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बक्सर में युवकों की टोली ने बनाया चलता-फिरता रक्त अधिकोष

बक्सर पिछले दिनों 30 अप्रैल को जब कोरोना चरम पर था और रक्त आधिकोष में भी खून की भारी क

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 09:31 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 09:31 PM (IST)
बक्सर में युवकों की टोली ने बनाया चलता-फिरता रक्त अधिकोष
बक्सर में युवकों की टोली ने बनाया चलता-फिरता रक्त अधिकोष

बक्सर : पिछले दिनों 30 अप्रैल को जब कोरोना चरम पर था और रक्त आधिकोष में भी खून की भारी कमी थी, तब बक्सर में थैलिसिमिया से पीड़ित छह माह की बच्च्ची को रक्त चढ़ाने के लिए उसके माता-पिता दर-दर की ठोकरें खा रहे थे, बात इंटरनेट मीडिया पर पहुंची और जानकारी मिलते ही बक्सर में युवाओं का डोनर क्लब ने तुरंत बच्ची के लिए रक्तदाता मुहैा कराए। इसी तरह शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.तनवीर फरीदी के यहां इलाजरत एक तीन माह की बच्ची को ओ पॉजिटिव रक्त की जरूरत पड़ गई, तब उसी रक्त समूह के मत्स्य व्यवसायी और डोनर क्लब के सदस्य चंदन चौधरी ने रात दो बजे रक्तदान कर बच्ची की जान बचाई।

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ऐसे दो-चार नहीं, बल्कि सैकड़ों उदाहरण है। बक्सर में युवाओं की एक टोली है, जिसे यहां के लोग चलता-फिरता रक्त अधिकोष के रूप में जानते हैं। डोनर क्लब के नाम से चलने वाले इस ग्रुप में फिलहाल 17 डोनर जुड़े हुए हैं। इनमें सात से ज्यादा ऐसे युवा डोनर हैं, जो अबतक 40 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। क्लब में व्यावसायी से लेकर छात्र और बैंक अधिकारी तक जुड़े हुए हैं। इनका अपना व्हाट्सएप ग्रुप है जो सभी बड़े अस्पतालों और रेडक्रॉस के रक्त-अधिकोष में सार्वजनिक किया गा है। दिन हो या रात, जब भी कोई कॉल आ गया ये रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं। डोनर क्लब की शुरुआत करने वाले प्रियेष खुद यूनियन बैंक का सीएसपी चलाते हैं। खुद 54 बार रक्तदान कर चुके हैं। खुद अभी अविवाहित हैं और बक्सर में रक्त अधिकोष की व्यवस्था में सुधार के लिए प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख चुके हैं। कहते हैं कई बार रक्त संग्रह के लिए बैग की व्यवस्था भी खुद करनी पड़ती है। ऐसे मिली प्रेरणा प्रियेष बताते हैं कि 2011 से वे रक्तदान कर रहे हैं। तब, पहली बार वे पंजाब नेशनल बैंक के स्थापना दिवस पर आयोजित रक्तदान शिविर में वे गए थे। उस शिविर में आए बहुत लोग, लेकिन रक्तदान केवल तत्कालीन अग्रणि बैंक प्रबंधक एसएन भांजा और तत्कालीन एडीएम अजय कुमार ने किया।तब संख्या कम देख उन्होंने भी रक्तदान किया, लेकिन इसे देख उन्हें यह अहसास हुआ कि रक्तदान के प्रति अभी कितनी कम जागरूकता है। तभी से उन्होंने रक्तदान का निर्णय लिया और दोस्तों के साथ मिलकर डोनर क्लब बनाया। इस क्लब में राजा चौधरी, रवि शर्मा, अखिलेंद्र चौबे, भोला तुरहा, अखिलेश राय, निलभ, गौरव श्रीवास्तव, संतोष, सिद्धार्थ, कमलेश कुमार, राजीव कुमार, दीपक, विनय, आकाश, प्रवीण रंजन और रौशन राज जुड़े हुए हैं। बयान : कोरोना संक्रमण के चरम पर रहने के दौरान जब रक्त अधिकोष में रक्त की कमी हुई, तब डोनर क्लब शहर के लोगों के लिए सहारा बनकर उभरा, यह ग्रुप कई लोगों की जान बचा चुका है।

श्रवण कुमार तिवारी, रेडक्रॉस, बक्सर।

क्यों मनाते हैं विश्व रक्त दाता दिवस

14 जून को नोबल प्राइस विजेता कार्ल लैंडस्टेनर का जन्म हुआ था. इन्होंने ही ए, बी और ओ ब्लड ग्रुप सिस्टम की खोज की थी। इस खोज से पहले तक ब्लड ट्रांसफ्यूजन बिना ग्रुप की जानकारी होता था. इस खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्टाईन को सन 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. रक्तदान से जुड़ी रोचक बातें-

- रक्तदान में डोनर के शरीर के केवल एक यूनिट रक्त लिया जाता है. - एक नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानी 5 से 6 लीटर रक्त होता है. - 'ह्र नेगेटिव' रक्त समूह यूनिवर्सल डोनर कहलाता है. इसे किसी रक्त समूह के व्यक्ति को दिया जा सकता है. - कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्त दान कर सकता हैं. - . पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में नियमित रक्त दान कर सकती हैं.


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