नदी को जाल से घेरने पर पर मछुआरों में आक्रोश
सदर प्रखंड के जरीगांवा प्रखंड में एक अजीब मामला सामने आया है जहां एक व्यक्ति द्वारा जाल लगा कर नदी को ही घेर दिया गया है. नदी को घेरने से घेराबंदी के आगे मछलियां जा नहीं पा रही हैं। जिससे कि ग्रामीणों तथा खासकर मछलियों पर निर्भर मछुआरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
बक्सर : सदर प्रखंड के जरीगांवा प्रखंड में एक अजीब मामला सामने आया है जहां एक व्यक्ति द्वारा जाल लगा कर नदी को ही घेर दिया गया है। नदी को घेरने से घेराबंदी के आगे मछलियां जा नहीं पा रही हैं। जिससे कि ग्रामीणों तथा खासकर मछलियों पर निर्भर मछुआरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
दरअसल, इस इलाके से बह रही ठोरा नदी में मछली मारने के लिए हुई नीलामी में सदर प्रखंड के ही इजरी ही गांव के रहने वाले छोटक यादव तथा झलकू बीन को यह अधिकार मिला कि वह नदी में मछली मार सकते हैं। जिसके बाद उन्होंने जरीगांवा गांव के समीप नदी को जाल लगाकर पूरी तरह से घेर दिया। इस घेराबंदी के बाद अब दूसरी तरफ एक भी मछली निकल कर नहीं जा रही। ऐसे में दर्जनों मछुआरे जिनके परिवार की आजीविका का साधन मछली मारना ही है। उनके समक्ष विकट परिस्थिति खड़ी हो गई है।
मछुआरों का कहना था कि, ठेकेदारों द्वारा अवैध रूप से नदी की घेराबंदी कर दी गई है जो कि अनुचित है। ऐसे में प्रशासन को इस पर कोई कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। लोगों के जमावड़े से स्थिति यह हो गई कि, स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस बुलानी पड़ गई। बाद में किसी तरह समझा-बुझाकर लोगों को शांत कराया गया। इस संदर्भ में छोटका नुआंव पंचायत के मुखिया जयप्रकाश कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि, मामले में प्रशासन को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कि किसी की हकमारी ना हो। बोली मत्स्य पदाधिकारी, कोई गलती नहीं कर रहा ठेकेदार
मामले में मत्स्य पदाधिकारी कांति कुमारी से बात करने पर उन्होंने बताया कि ठेकेदार द्वारा सरकार को राजस्व दिया गया है। जिसके बाद सरकार ने उसे नदी के एक हिस्से में मछली मारने की अनुमति दी गयी है। अब वह अगर नदी को घेर भी लेता है तो यह कोई गलत बात नहीं है। स्थानीय मछुआरों को पूर्व में ही चाहिए था कि वह एक साथ मिलकर आपसी सहमति से इस पर कोई विचार करते तो वह भी नदी में मछली मार सकते थे।