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विभागीय भेदभाव से खेती चौपट, किसान ¨चतित

प्रखंड के किसानों से विभाग द्वारा भेद-भाव किया गया है। पानी के अभाव में किसानों को पूंजी गंवानी पड़ी है। जिससे किसान आहत हैं। किसानों ने बताया कि दियरा में बारिश बहुत कम हुई है। पंपसेट भी साथ नहीं दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 03:52 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 03:52 PM (IST)
विभागीय भेदभाव से खेती चौपट, किसान ¨चतित
विभागीय भेदभाव से खेती चौपट, किसान ¨चतित

बक्सर । प्रखंड के किसानों से विभाग द्वारा भेद-भाव किया गया है। पानी के अभाव में किसानों को पूंजी गंवानी पड़ी है। जिससे किसान आहत हैं। किसानों ने बताया कि दियरा में बारिश बहुत कम हुई है। पंपसेट भी साथ नहीं दिए हैं। जिससे बाजरा, मकई, अरहर, तिल, धान सहित अन्य फसल बर्बाद हो गई। जिस खेत से प्रति एकड़ 14 से 16 ¨क्वटल पैदावार होने की उम्मीद थी। उस खेत से 4 से 5 ¨क्वटल उपज हो रही है। लागत प्रति एकड़ 10 से 12 हजार है। अच्छी फसल होने से जहां मोटी कमाई होनी थी। वहीं, अब 3 से 4 हजार की उपज होने से नुकसान उठाना पड़ेगा। राजेश ¨सह और भरत पांडेय ने बताया कि दियारा के किसान मुख्य रूप से दलहन, तिलहन के तहत मंसूर, चना, मटर, खेसारी, तीसी आदि की खेती करते हैं। जो करीब 500 एकड़ में होती है। दलहन-तिलहन की खेती हथिया और चित्रा नक्षत्र में ही की जाती है। इस बार अभी तक जमीन में नमी नहीं है। जिस कारण 100 से 150 एकड़ ही खेती हुई है। जिससे किसानों द्वारा फसल बिक्री की कौन कहे। उनकी जरूरत की पूर्ति होने पर भी ग्रहण है। किसान सलाहकार रमेश पांडेय ने कहा कि यदि सरकार किसानों को तिलहन-दलहन का बीज एवं पटवन की सुविधा दी होती तो पैदावार अच्छी हो सकती थी। प्रखंड कृषि पदाधिकारी अर¨वद कुमार ने बताया कि किसानों को वैकल्पिक फसल बोवाई के लिए मंसूर, मटर, गेहूं आदि उपलब्ध कराया जाएगा। फसल सहायता अनुदान, डीजल अनुदान भी दिया जाएगा। इसके लिए किसानों को वसुधा केंद्र से आधार कार्ड, बैंक खाता संख्या और मोबाइल नम्बर के साथ एग्रीकल्चर बिहार.एनआइसी पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यह रजिस्ट्रेशन केवल एक बार ही करना है। पूर्व प्रखंड प्रमुख अनिता ¨सह ने कहा कि प्रखंड के साथ विभाग द्वारा भेदभाव किया गया है। क्योंकि, बगल के प्रखंड ब्रह्मपुर को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। समय रहते विभाग नहीं चेता तो किसान अपने हक के लिए धरना-प्रदर्शन करेंगे। किसान खेत का पटवन हर तीसरे दिन कर रहे हैं। बावजूद, फसल सूखने के कगार पर है।

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