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कोरोना पर भारी पड़ी लोगों की आस्था, गंगा घाटों पर स्नान को उमड़ी भीड़

बक्सर लोक आस्था का महापर्व मकर संक्रांति गुरुवार को क्षेत्र में भक्ति भाव के साथ मनाया गया। ठं

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 10:10 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 10:10 PM (IST)
कोरोना पर भारी पड़ी लोगों की आस्था, गंगा घाटों पर स्नान को उमड़ी भीड़

बक्सर : लोक आस्था का महापर्व मकर संक्रांति गुरुवार को क्षेत्र में भक्ति भाव के साथ मनाया गया। ठंड एवं शीत लहर के बावजूद हजारों श्रद्धालुओं ने उतरायणी गंगा में स्नान कर वैदिक परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना एवं दान उपदान किया। इस अवसर पर अहले सुबह से ही बड़का गॉव, केशोपुर, तिलक राय के हाता, कोयलावीर, बेयासी, बीस के डेरा, उमरपुर सहित कई अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं का जन सैलाब गंगा में डुबकी लगाने के पश्चात भगवान भाष्कर को अ‌र्घ्य अर्पित किया।

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बेहद खतरनाक थे घाट :

अंचल के सभी प्रमुख गंगा घाट काफी खतरनाक थे। परन्तु आस्था के सामने ये बौने साबित हुए। वस्तुस्थिति से अवगत होते हुए भी करीब एक लाख लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई। इस मौके पर अधिकांश श्रद्धालु प्रशासन की लचर व्यवस्था को कोसते नजर आये। देवकुमारी देवी, नीतू दूबे, सिधुजा देवी, शोभा देवी, सुषमा देवी, मीरा देवी, अशोक राय, आर एन पाण्डेय, रमीता देवी, संतोष राय, अजय साह, विराट मिश्रा आदि का कहना था कि पर्व विशेष के अवसर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा घाटों की मरम्मती नही कराना आम जनता के प्रति उनकी समर्पित सेवा भावना को इंगित कर रहा है। इस मामले में जब सीओ अनिल कुमार से संपर्क स्थापित किया गया तो उनका कहना था कि बहुत पहले से ही सारे घाटों को डेंजर घोषित कर दिया गया है। बावजुद इसका तनिक भी असर क्षेत्रीय लोगों पर देखने को नही मिला।

चूड़ा दही का क्रेज बरकरार :

मकर संक्रांति के अवसर पर लोगों ने जमकर दही चुड़ा का लुफ्त उठाया। वैसे घरों में अन्य व्यंजन भी उपलब्ध थे। मगर दही चुड़ा के प्रति लोगों की दिवानगी स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही थी। कृष्णा साह, खेदू साह, ललन प्रसाद आदि व्यावसायियों की माने तो लाख महंगाई के बावजूद चुड़ा, गुड़ एवं दुध की जबरदस्त रूप से बिकवाली हुई है।

पुरानी परंपरा का निर्वाह :

क्षेत्रीय लोगों ने मकर संक्रांति के दिन चने का शाक खाकर सनातनी परंपरा का निर्वहन किया। इस दौरान पूरे क्षेत्र में मेले का नजारा परिलक्षित हो रहा था। लोक किवदंतियों के अनुसार चना का शाक खाने से प्राणी भव मुक्त हो जाता है।


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