डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से फसल पर लागत हुई महंगी
बक्सर इस साल रबी की फसल तो बंपर हुई है लेकिन गुड़ का नफा चीनी में घुसने वाली कहावत
बक्सर : इस साल रबी की फसल तो बंपर हुई है, लेकिन गुड़ का नफा चीनी में घुसने वाली कहावत किसानों पर लागू हो रही है। डीजल का रेट अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर होने के कारण फसल पर लागत मूल्य काफी ज्यादा बढ़ गया है। इस वजह से किसानों के चेहरे पर से मुस्कुराहट गायब है। किसानों के जेब मे रखे हुए पैसे डीजल में उड़ रहे हैं। गेहूं की कटाई से लेकर भूसा बनाने तक का खर्च बढ़ गया है।
किसानों का कहना है कि जिले में अभी गेंहू की सरकारी खरीद शुरू होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिख रही है। जिससे महाजनों को सस्ते दामों पर गेहूं की बिक्री किसान कर रहे है। खेती में बढ़ रहे खर्च की भरपाई अब फसल से सम्भव किसानों को नही दिख रहा है। डीजल का बाजार भाव अभी लगभग 89 रुपये है, ऐसे में हार्वेस्टर का खर्च बढ़ गया है और संचालक प्रति बीघे गेहूं कटाई के एक हजार रुपये चार्जकर रहे हैं। पिछले साल आठ से नौ सौ रुपये प्रति बीघा के दर से गेहूं की कटाई हुई थी। खेखसी के किसान बबन यादव व खनिता के मंगनी राय ने बताया कि डीजल का भाव बढ़ने से खेती का काम महंगा हो गया है। पिछले साल मवेशियों के चारे के लिए गेंहू के डंठल से एक ट्रॉली भूसा बनवाने पर 1600 रुपये देना पड़ता था। इस साल डीजल का दाम करीब 20-22 रुपये बढ़ा है। इससे एक ट्रॉली भूसा के लिए 1800 सौ रुपये देना पड़ रहा है। यह अतिरिक्त बोझ किसानों की जेब पर पड़ रहा है।
डीएपी के दर में बढ़ोतरी अफवाह
अभी खाद की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है, लेकिन मुनाफाखोर डीएपी के रेट में बढ़ोतरी की अफवाह फैला रहे हैं। इस संबंध में इफको के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निकट भविष्य में डीएपी खाद की बढ़ोतरी को लेकर न तो कोई अधिसूचना जारी की गई है और न ही कोई पत्र जारी हुआ है। उन्होंने बताया कि खाद पर सरकार सब्सिडी देती है। डीएपी बनाने में जरूरी रसायन फास्फोरिक एसिड कंपनी विदेश से आयात करती है। एक साल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 20 प्रतिशत तक बढ़ी है। इससे खाद में लागत खर्च बढ़ा है। हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि खाद की कीमतें नहीं बढ़ेंगी।