इस रामलीला मंडली का हर पात्र है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम
त्येक कलाकार मंच पर राम भी है और रावण भी। बक्सर में नारद की भूमिका में पहली बार पहुंचे अजय
गिरधारी अग्रवाल, बक्सर : रामायण में जहां धर्म और सत्य के प्रतीक श्रीराम थे, वहीं बुराई के प्रतीक रावण। बक्सर के किला मैदान में चल रहे रही रामलीला में कलाकारों के नजरिए से रामायण का दूसरा ही रूप मिलेगा, यहां कलाकार जब रामलीला के मंच पर उतरता है तो सभी के मन में श्रीराम ही बसते हैं। यहां तक कि किसी भी कलाकार को किसी भी पात्र के निभाने की जिम्मेदारी दे दी जाती है तो वह उस पात्र को बड़ी शिद्दत के साथ निभाता है।
बक्सर के किला मैदान में रामलीला का मंचन करने आए बृजवासी रामलीला मंडली के सदस्य रामायण के हर पात्र की भूमिका निभाने की काबिलियत रखते हैं। इस मंडली का हर कलाकार श्रीराम भी है और भगवान श्रीकृष्ण भी। जरूरत पड़ने पर हिरण्यकश्यप की भूमिका भी निभा लेता है और रावण की भी। हालांकि, कलाकार चाहे जिस पात्र की भूमिका में हों, खुद को पूरी तरह से उसी व्यक्तित्व में ढाल लेता है। श्री रामलीला समिति के सौजन्य से वृंदावन-मथुरा की रामलीला मंडली (श्री गोविद गोपाल लीला संस्थान) द्वारा गत 22 तारीख से रामलीला व कृष्णलीला का जीवंत मंचन किया जा रहा है। इस मंडली में कुल 22 कलाकार हैं। जो वाद्ययंत्र के साथ विभिन्न पात्र की भूमिका में भी कभी-कभी खड़े नजर आते हैं। वाद्ययंत्र के तबला वादक में पारंगत मदन गोपाल पचोरी हों या पैड पर संगत दे रहे देवेंद्र शर्मा, जब कभी मंच पर हास्य की भूमिका निभाते नजर आते हैं तो दर्शकों का ठहाका रुकने का नाम ही लेता। नारद की भूमिका में अजय शर्मा हों या भक्त प्रह्लाद, कृष्ण और लक्ष्मण की भूमिका में नारायण शर्मा तथा राम की भूमिका में मनोज शर्मा एवं सीता व राधा की भूमिका में अमन शर्मा, कला की निपुणता तो कोई इनसे सीखे। बचपन से ही जीने-खाने का जरिया बना चुके कलाकारों का कहना है कि प्रभु के सानिध्य में रहकर इससे दूसरा बड़ा कोई काम हो ही नहीं सकता। व्यासपीठ की गद्दी नवाजे श्यामजी शर्मा के मातृछंद तो जैसे पूरी लीला की ही जान हैं। इन्सर्ट., - उम्र कम थी तो बनते थे राम, अब रावण बक्सर : लीला संस्थान के प्रमुख 32 वर्षीय श्री विष्णु शर्मा (दत्तात्रेय) कभी बचपन में रामलीला में श्री राम व हनुमान जी तथा रासलीला में बलराम, राधा एवं सखियों की भूमिका बखूबी निभाते थे। परन्तु, उम्र बढ़ी तो कला का रूप भी बदल गया। अब वे रावण, हिरण्यकश्यप, कंस, विक्रम राणा, दशरथ, बाली आदि की भूमिका निभाते हैं। विष्णु बताते हैं कि 25 सालों से वे रामलीला में अभिनय कर रहे हैं। कहते हैं कि कोई भी कला तभी सार्थक है जब कलाकार अपने अभिनय के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हो। उन्होंने बताया कि वृंदावन में लगभग 10 हजार कलाकार हैं और पांच सौ मण्डलियां। मंडली का प्रत्येक कलाकार मंच पर रामलीला और रासलीला के सभी पात्रों का अभिनय करने में दक्ष होता है। बक्सर में नारद की भूमिका में पहली बार पहुंचे अजय शर्मा यहां के दर्शकों से काफी प्रभावित हैं। उनका कहना है कि बारिश में भी दर्शकों ने जिस मनोभाव से उनकी कला को देखा उससे तो यही साबित हो रहा है कि वास्तव में यह आध्यात्म की नगरी है।