डीएम ने भेजी रिपोर्ट, मौत की वजह भूख नहीं बीमारी
कोरानसराय अनुसूचित बस्ती में दो बच्चों की मौत मामले की जांच डीएम राघवेन्द्र ¨सह द्वारा की गई है। सरकार को भेजे रिपोर्ट में डीएम ने मौत की वजह भूख के बजाए बीमारी बताते हुए जागरण की उस खबर की पुष्टि कर दी।
बक्सर । कोरानसराय अनुसूचित बस्ती में दो बच्चों की मौत मामले की जांच डीएम राघवेन्द्र ¨सह द्वारा की गई है। सरकार को भेजे रिपोर्ट में डीएम ने मौत की वजह भूख के बजाए बीमारी बताते हुए जागरण की उस खबर की पुष्टि कर दी। जिसे जागरण अखबार ने पहले ही दिन प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। सनद रहे कि मामले को लेकर अफवाह के मद्देनजर आठ सितंबर को जिला पदाधिकारी राघवेन्द्र ¨सह, पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार, उप विकास आयुक्त अर¨वद कुमार, जिला कल्याण पदाधिकारी राम इकबाल राम के अलावा प्रखंडस्तरीय पदाधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से अनुसूचित बस्ती का दौरा कर पीड़ित परिवार के सदस्यों से पूछताछ की गई।
मृतक के बच्चों की मां धाना देवी एवं पिता शिवकुमार मुसहर ने बताया कि गरीबी के चलते बेहतर चिकित्सा नहीं होने से बच्चों की मौत हुई है। आंगनबाड़ी सेविका एवं विकास मित्र द्वारा भी अधिकारियों की पूछताछ में मौत की वजह बीमारी बताई गई है। जांच के बाद जिला पदाधिकारी ने बस्ती के लोगों से साफ-सफाई एवं बच्चों की पढ़ाई पर जोर दिया। राजनीतिक दलों ने बताई थी मौत की वजह भूख कोरानसराय के शिवकुमार मुसहर के दो बच्चों की मौत के बाद राजनीतिक में सच्चाई से परे मौत की वजह भूख बताने की हवा खूब उड़ी।पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व सांसद जगदानंद ¨सह के अलावा भाकपा माले और अन्य नेताओं ने मौत की वजह को भूख करार देकर पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया। आखिरकार इस मामले में डीएम जांच-पड़ताल की और परिस्थितिजन्य हालात को देखा। उसके बाद उन्होंने बच्चों की मौत की वजह बीमारी बताई। साहित्यकार एव स्थानीय गांव के सेवानिवृत शिक्षक पं.दामोदरदत्त मिश्र 'प्रसुन्न' ने मानवता के सारगर्भित तथ्यों को सामने रखते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में ममता कभी गरीब नहीं हुई है। गरीबी का मुख्य वजह है अशिक्षा दो बच्चों की मौत के बाद उत्पन्न हुई राजनीति पर जिला प्रशासन द्वारा मामले की सूक्ष्मस्तरीय तरीके से की गई पड़ताल में स्पष्ट हुआ है कि यहां निश्चित रूप से गरीबी है। परन्तु, इसका मुख्य कारण अशिक्षा भी बताया गया। जिस बस्ती में दो बच्चों की मौत हुई। वहां प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केन्द्र भी संचालित होता है। लेकिन, आश्चर्यजनक पहलू तो यह है कि डेढ़ सौ घर आबादी वाले इस समुदाय के अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों को नामांकन इन शैक्षिक संस्थानों में आज तक नहीं कराया गया है। नतीजतन, शिक्षा के अभाव में बस्ती के लोग चिकित्सकीय उपचार की जगह तंत्र-मंत्र के चक्कर में फंस जाते हैं।