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तीसरे दिन भभुअर पहुंचे श्रद्धालु, चूड़ा-दही का लगा भोग

पंचकोसी परिक्रमा की मेन खबर. फोटो- 11 16 17 1

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 09:06 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 09:06 PM (IST)
तीसरे दिन भभुअर पहुंचे श्रद्धालु, चूड़ा-दही का लगा भोग

बक्सर : पंचकोसी परिक्रमा का कारवां शुक्रवार को तीसरे विश्राम स्थल सदर प्रखंड के भभुअर गांव में पहुंचा। जहां भार्गव सरोवर में स्नान तथा भार्गवेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने महर्षि भृगु को नमन किया गया। इसके बाद दान-पुण्य कर श्रद्धालुओं ने चूड़ा-दही का प्रसाद खाकर भजन-कीर्तन करते हुए रात गुजारी।

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एक दिन पूर्व गुरुवार को नारद आश्रम नदांव में रात्रि विश्राम के बाद पंचकोसी का काफिला तड़के वहां से भार्गव आश्रम के लिए रवाना हुआ। जहां पहुंचने के बाद श्रद्धालु भार्गव सरोवर में स्नान एवं मंदिर में पूजा-अर्चना किए। इसके उपरांत सिद्धाश्रम व्याघ्रसर (बक्सर) पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष सह बसांव पीठाधीश्वर आचार्य अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के राजाराम शरण दास जी महाराज, श्रीनिवास मंदिर के महंत श्रीदामोदराचार्य, वृंदावन से पधारे मदन बाबा, उद्धवाचार्य जी महाराज, सुदर्शचार्य जी महाराज, डॉ.रामनाथ ओझा आदि की संयुक्त अगुवाई में हजारों श्रद्धालुओं ने भार्गव सरोवर की परिक्रमा की। इसके बाद कथा-प्रवचन का आयोजन कर भार्गवाश्रम के महत्व तथा पंचकोसी यात्रा के उद्देश्य को बताया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ भभुअर पहुंचे थे। जहां महर्षि भृगु ने चूड़ा-दही खिलाकर प्रभु की खातिरदारी की थी।

दूसरी ओर, मेला में पहुंचे लोगों ने जमकर खरीदारी की तथा रात को भजन-कीर्तन का आनंद लिया। इस दौरान आचार्य कृष्णानंद शास्त्री, पंडित छविनाथ त्रिपाठी, जगदीश द्विवेदी समेत पंचकोसी परिक्रमा समिति के कोषाध्यक्ष रोहतास गोयल, सत्यदेव प्रसाद, बबन सिंह, अधिवक्ता ललन सिंह आदि अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।

भार्गव सरोवर के शिल्पकार हैं लक्ष्मणजी

भगवान श्रीराम के छोटे भाई श्री लक्ष्मण भभुअर स्थित भार्गव सरोवर के शिल्पकार माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ को संपन्न कराने के बाद ऋषियों से आशीर्वाद लेने को जब श्रीराम के साथ पंचकोसी परिक्रमा करते लक्ष्मण जी यहां पहुंचे तो उन्हें जल की कमी महसूस हुई। लिहाजा, उन्होंने अपने तीर से पृथ्वी पर वार किया। जिससे पाताल से पानी का श्रोत फूटकर जलधारा निकलने लगी। इसका वर्णन करते हुए आचार्य कृष्णानंद शास्त्री ने बताया कि पंचकोसी के दौरान उक्त सरोवर में स्नान करने से स्नानार्थी पाप से रहित होकर बैकुंठ लोक में निवास करते हैं। हालांकि, भार्गव सरोवर की स्थिति अत्यंत दयनीय है।

आज उन्नाव में लगेगा सत्तू-मूली का भोग

पंचकोसी का चौथा पड़ाव शनिवार को आज बड़का उन्नाव गांव में होगा। मान्यता के अनुसार यहीं पर हनुमानजी की माता अंजनी का निवास था। जहां आज भी अंजनी सरोवर मौजूद है। जिसके चलते हजारों की संख्या में साधु-संत एवं श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और अंजनी सरोवर में स्नान व पूजा कर सत्तू-मूली का प्रसाद ग्रहण करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि उद्दालक मुनि इसी सरोवर के तट पर निवास करते थे। जिनसे आशीर्वाद लेने पहुंचे भगवान श्रीराम को ऋषि ने सत्तू-मूली खिलाकर स्वागत किया था। इसकी जानकारी देते हुए पंडित छविनाथ त्रिपाठी ने बताया कि इसी परंपरा के निर्वाह को ले उन्नाव में सत्तू एवं मूली का प्रसाद खाने का रिवाज है।


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