सड़क न बनने पर फूटा ग्रामीणों में आक्रोश, प्रदर्शन
जिला मुख्यालय से सटे महज तीन किलोमीटर की दूरी पर मौजूद लगभग एक दर्जन गांव के हजारों लोगों ने इस बार किसी भी पार्टी को वोट न देकर नोटा पर मुहर लगाने का निर्णय लिया है।
बक्सर । जिला मुख्यालय से सटे महज तीन किलोमीटर की दूरी पर मौजूद लगभग एक दर्जन गांव के हजारों लोगों ने इस बार किसी भी पार्टी को वोट न देकर नोटा पर मुहर लगाने का निर्णय लिया है। एक अदद सड़क की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की आवभगत करते थक चुके हैं। लिहाजा इस बार लोक सभा चुनाव में ग्रामीणों ने किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को वोट ने देते हुए नोटा के प्रयोग का निर्णय लिया है।
कहने को तो हम दिन रात विकास का दंभ भरते नहीं थकते। देश चांद तारों पर सैर करने की योजनाएं बनाने में लगा है। वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर मौजूद लगभग एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग एक अदद सड़क के अभाव में शहर तक जाने में असमर्थ हैं। सड़क समस्या से जूझ रहे गांवों में सदर प्रखंड के बलुआ, बलिरामपुर, पुलिया, गोविदपुर, सोंवा बांध, नावागांव, कोड़रवा समेत लगभग एक दर्जन से अधिक गांव शामिल हैं। जो आज तक मुख्य सड़क से जोड़े नहीं जा सके हैं।
गांव से शहर तक जाने के लिए लोगों को भारी मशक्कत करनी पड़ती है। लिहाजा एक दर्जन गांव के लगभग पांच सौ से अधिक लोगों ने एकजुट होकर इस बार किसी भी पार्टी को वोट नहीं देने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव प्रचार के लिए किसी जनप्रतिनिधि को गांव में प्रवेश नहीं करने देंगे। और इस बार हमलोग नोटा पर ही अपनी मुहर लगाएंगे। इस मौके पर कार्यक्रम का नेतृत्व मुन्ना राय के साथ शिवप्रसाद सिंह ने किया। जबकि मौके पर बच्चा राय, अवधेश राय, बद्रीनारायण राय, श्रीनिवास सिंह, जंगबहादुर सिंह, उमेश सिंह, रमेश सिंह, हृदयनारायण सिंह, सरपंच सुरेंद्र सिंह, बेचु उपाध्याय, बीडीसी सुरेंद्र राम, बृजलाल राम, सत्यनारायण राम, हृदयनारायण उपाध्याय समेत पांच सौ से अधिक ग्रामीण मौजूद रहे। क्या है समस्या
ग्रामीणों ने बताया कि समस्या इतनी ही गंभीर है कि महज एक किलोमीटर की दूरी पर मौजूद सदर अस्पताल के बावजूद किसी गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के पहले ही उसका गर्भपात हो जाना तय है। तो दूसरी ओर गांव में आवागमन का कोई मार्ग नहीं होने को लेकर यहां के लड़कों की शादियां करने में भारी मशक्कत करनी पड़ती है। रास्ता की समस्या को देखते ही कोई यहां अपनी लड़की की शादी करने को तैयार नहीं होता। वैसे तो इन गांवों तक जाने के लिए तीन मार्ग बने हुए हैं। पर यह तीनों ही मार्ग इस कदर जर्जर हो चुके हैं कि कोई वाहन लेकर जाना तो दूर पैदल और साइकिल से जाना भी बेहद कठिन है। बरसात के दिनों में तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है। इनमें सबसे कम दूरी का 600 मीटर लम्बा नहर मार्ग है। गुहार लगाते थक गए
बलुआ निवासी शिव प्रसाद सिंह ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए वे लोग अब तक सभी जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाते थक चुके हैं। 2016 में ही सांसद कोटा से सड़क बनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसपर सीओ द्वारा 2017 में एनओसी भी मिल गया था। पर इसके बाद मुख्यमंत्री कोटा में योजना चले जाने के बाद मामला अधर में लटक गया। लिहाजा महज 600 मीटर सड़क की आज तक स्वीकृति नहीं मिल सकी।