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मुस्लिम समुदाय के बनाए महावर से सजेंगे सूप-दउरा

समाज के हर वर्ग, समुदाय के लोगों को एक सूत्र में जोड़ने, सौहा‌र्द्रपूर्ण एवं आपसी भाईचारा का माहौल तैयार करने के लिए पर्व त्योहार एवं मांगलिक कार्यो को हमारे मनीषियों ने मुख्य आधार बनाया था। उसी परम्परा और रीति-रिवाज के आधार पर आज भी लोग पर्व-त्योहार मनाते हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है आस्था व विश्वास का महान पर्व छठ पूजा। जिसे पवित्रता का मुख्य व्रत माना जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 06:48 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 06:48 PM (IST)
मुस्लिम समुदाय के बनाए महावर से सजेंगे सूप-दउरा

बक्सर । समाज के हर वर्ग, समुदाय के लोगों को एक सूत्र में जोड़ने, सौहा‌र्द्रपूर्ण एवं आपसी भाईचारा का माहौल तैयार करने के लिए पर्व त्योहार एवं मांगलिक कार्यो को हमारे मनीषियों ने मुख्य आधार बनाया था। उसी परम्परा और रीति-रिवाज के आधार पर आज भी लोग पर्व-त्योहार मनाते हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है आस्था व विश्वास का महान पर्व छठ पूजा। जिसे पवित्रता का मुख्य व्रत माना जाता है।

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पवित्रता के साथ होनेवाली पूजा-अर्चना में महादलित समुदाय के हाथों निर्मित सुपली और दउरा इस व्रत की मुख्य पूजन सामग्री माना जाता है। नगर में राज हाई स्कूल के समीप रहनेवाले नेपाली बांसफोर, लक्ष्मीना देवी, सीता देवी, गीता देवी, रीता देवी, सुन्दरवासो देवी, चौगाईं के कंवरू महादलित एवं जगन सहित कई लोगों ने बताया कि सुपली एवं दउरा बनाने के लिए दो माह पूर्व से ही रातोंदिन कार्य किया जा रहा है। नगर सहित कई बाजारों में भी सुपली एवं दउरा की सप्लाई की जाती है। इन परिजनों की मानें तो फिलहाल बांस की कीमतों में काफी वृद्वि होने से सुपली एवं दउरा के कीमतों में भी बढो़तरी की गई है। पिछले साल खुदरा के रूप में 80 रुपये जोड़ा बिकनेवाला सुपली अब एक सौ तक बिक्री की जाती है। वहीं, दउरा दो सौ तक तैयार किया जाता है। फिलहाल छठ के लिए पूजन सामग्रियों को लेकर बाजारों में काफी चहल-पहल देखने को मिल रहा है। इलाके के विभिन्न भागों में बज रहे छठ गीतों की पारंपरिक धुन से माहौल भक्तिमय बना है।

मुस्लिम समुदाय के हाथों निर्मित महावर है पूजन सामग्री भगवान भुवन भाष्कर की पूजा-अर्चना में लाल रंग के महावर को मुख्य पूजन सामग्री बताया जाता है। सुनकर ताज्जूब होगा कि रूई व लाल रंग से निर्मित महावर नगर के कुरैशी मुहल्ला में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा तैयार किया जाता है। यहीं नहीं, पिछले कई माह से रात-दिन एककर तैयार किए गए महावर पूरे जिले सहित पड़ोसी राज्यों में भी सप्लाई की जाती है। छठ व्रती पूजन सामग्रियों की खरीदारी में सबसे पहले महावर को ही प्राथमिकता देते हैं। कुरैशी मुहल्ला के मो.रियाज कुरैशी, मंसूरी कुरैशी, फैज, सकील कुरैशी, समीर, अमीन कुरैशी एवं सकीला खातून सहित कई लोगों ने बताया कि छठ पर्व का वर्षो से इंतजार रहता है। पिछले डेढ़-दो माह से महावर बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। सबसे बड़ी खुशी तो इस बात की रहती है कि समानता के इस पर्व में मुस्लिम समुदाय के हाथों तैयार महावर मुख्य पूजन सामग्री माना जाता है। तालाबों के किनारे होगी भगवान भाष्कर की मूर्ति स्थापित अनुमंडल क्षेत्र के कई तालाबों के किनारे दशकों पूर्व से चली आ रही परम्परा के अनुसार भगवान भुवन भाष्कर की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करने की प्रक्रिया चल रही है। ऐतिहासिक छठियां पोखरा पर चर्चित मूर्तिकार कृष्ण मुरारी द्वारा शहर के अमुक पंडित जो व्रतियों को अ‌र्घ्य दिलाएंगे को दर्शाने की तैयारी चल रही है। जबकि, कोरानसराय एवं लाखनडिहरा गांव स्थित तालाब के किनारे मूर्तिकारों द्वारा मूर्तियों को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है।     कहते हैं वेद के जानकार आस्था और विश्वास का महान पर्व छठ पर्व के संबंध में पं.दामोदरदत मिश्र 'प्रसुन्न' एवं पं.संजय कुमार ओझा ने बताया कि भगवान भुवन भाष्कर की पूजा-अर्चना में सुपली एवं महावर को मुख्य पूजन सामग्री माना जाता है। ऐसे पर्व-त्योहारों के माध्यम से लोगों को सीख लेनी चाहिए। समाजिक सौहा‌र्द्र व आपसी भाईचारा कायम करने में समुदाय के हर लोगों का सहयोग नितांत आवश्यक है।


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