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बालू पर दौड़ बिहार के लाल ने जीता था एशियाड में गोल्ड

बक्सर खेल संघों में राजनीति की दखल और सरकार की उदासीनता से आज बिहार का खेल में कोई

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 06:21 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 06:19 AM (IST)
बालू पर दौड़ बिहार के लाल ने जीता था एशियाड में गोल्ड
बालू पर दौड़ बिहार के लाल ने जीता था एशियाड में गोल्ड

बक्सर : खेल संघों में राजनीति की दखल और सरकार की उदासीनता से आज बिहार का खेल में कोई वजूद नहीं रहा। हालांकि, हमेशा यह स्थिति नहीं थी, वर्ष 1970 से 80 के बीच ट्रैक एण्ड फिल्ड पर लंबी दूरी की दौड़ में विश्व के श्रेष्ठ धावकों में एक शिवनाथ सिंह बक्सर जिले के मंझरिया के ही थे। गंगा तट पर बसे गांव के शिवनाथ ने दियारा के बालू पर दौड़ की प्रैक्टिस की और तेहरान एशियाड में पांच हजार मीटर की स्पर्धा में नंगे पांव दौड़ देश के लिए गोल्ड मेडल जीत लिया। 6 जून 2003 को 57 वर्ष की अल्प आयु में महान खिलाड़ी दुनिया को अलविदा कह चले गए। स्व.शिवनाथ सिंह का जन्म 11 जुलाई 1946 को हुआ था। उनके पिता भरदुल सिंह मंझरिया गांव के किसान थे । मंझरिया के चन्द्रमा सिंह बताते हैं कि शिवनाथ गंगा के रेत पर भी वह मिलों सरपट भागते थे। दौड़ के बल पर वह सेना में चुने गए और वहीं से उनके लिए राष्ट्रीय और अतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिला। बाद में उन्हें टाटा स्टील ने अपने यहां उन्हें मानद नियुक्ति दी। गांव के विश्वामित्र सिंह कहते हैं कि सत्तर के दशक में शिवनाथ सिंह जैसा लम्बी दूरी का एथलीट एशिया में नहीं था। 1974 के तेहरान एशियाड में 5000 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 14 मिनट साढ़े 20 सेकंड का समय निकाल उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। उसी एशियाड में उन्होंने 10 हजार मीटर की दौड़ में रजत जीता था। दोनों स्पर्धाओं में वे नंगे पांव दौड़े। 5 हजार मीटर और 10 हजार मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड आज भी स्व.शिवनाथ के नाम है। सेना में नायब सूबेदार रहते हुए राष्ट्रपति से विशेष सेवा मेडल पाने वाले वे बिहार के इकलौते एथलीट हैं। बाद में उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा गया।

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घर में ही भुला दिए गए शिवनाथ

आज खेल में बिहार इतना पिछड़ चुका है कि अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में प्रदेश की नुमाइंदगी शायद ही दिखती है, लेकिन जिस बिहारी ने खेल के दम पर दुनियाभर में देश का नाम रौशन किया, उन्हें सरकार याद भी नहीं करती। मंझरिया को छोड़ बक्सर में भी अब लोग इस महान खिलाड़ी को भूल गए हैं। शिवनाथ सिंह की उपलब्धियों को सहेजने और पुनर्जीवित करने में लगे रजनीकांत फाउंडेशन के सचिव और भोजपुरिया जनचेतना मंच के सरंक्षक सतीश चंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि यह हमरा दुर्भाग्य है कि हम युवा पीढ़ी तक उनकर प्रेरणा नहीं पहुंचा पा रहे हैं।

एथलीट शिवनाथ सिंह की कुछ उपलब्धियां

-1970 में मिलिट्री पूर्व कमान में 5000 मीटर के दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

-1971 क्रॉसकंट्री दौड़ में नेशनल रिकॉर्ड के साथ प्रथम स्थान।

-1973 में प्रथम एशियन एथलेटिक्स मनीला में 5000 व 10000 मीटर स्पर्धाओं में रजत पदक ।

-1974 में तेहरान एशियाड में 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक एवं 10000 मीटर में रजत पदक।

-1975 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित एवं उसी साल 5000 मीटर के राष्ट्रीय चैंपियन भी रहे।

-1975 में द्वितीय एशियन एथलेटिक्स सियोल में दोनों स्पर्धाओं में रजत पदक

-1976 मांट्रियल ओलंपिक मैराथन दौड़ (42 किमी) में 11वां स्थान।

-1978 में एडिनबर्ग, कनाडा में राष्ट्रमंडल खेलो में भारतीय दल का नेतृत्व किया।

-1980 के मॉस्को ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया


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